फिलहाल कार्ति चिदंबरम नहीं जा पाएंगे विदेश, सुप्रीम कोर्ट LOC पर 18 सितंबर को करेगा सुनवाई
LiveLaw News Network
11 Sept 2017 2:31 PM IST
कार्ति चिदंबरम के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर प्रभावी रहेगा। कार्ति चिदंबरम फिलहाल 18 सितंबर तक विदेश नहीं जा सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने लुक आउट सर्कुलर पर रोक लगाने से फिलहाल इंकार कर दिया है। अगली सुनवाई 18 सितंबर को होगी। इसी दिन कोर्ट तय करेगा कि लुक आउट सर्कुलर बना रहेगा या नहीं।
वहीं सोमवार को सीबीआई की ओर से ASG तुषार मेहता ने विरोध करते हुए कहा कि कोर्ट में कहा कि कार्ति के खिलाफ जांच जारी है। उनकी विदेशों में करीब 25 संपत्तियां हैं। जांच अभी नाजुक दौर में है। एेसे में विदेश जाने की इजाजत नहीं दी जा सकती। वहीं कार्ति की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि सीबीआई जांच के नाम पर उन्हें, उनके पिता और मां को प्रताडित किया जा रहा है। सीबीआई के सारे आरोप बेबुनियाद हैं और बेसिर पैर के हैं। उनकी व परिवार की सारी संपत्तियों का पूरा ब्यौरा आयकर विभाग के पास है। अगर विदेशों में उनकी कोई भी संपत्ति है तो उसे सरकार जब्त कर सकती है। इन आरोपों का लुक आउट सर्कुलर से कोई लेना देना नहीं है।
इससे पहले सीबीआई की ओर से पेश ASG तुषार मेहता चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एनएम खानवेलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बेंच के सामने कहा था कि कार्ति के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं और विदेश यात्रा पर रोक नहीं हटाई जानी चाहिए। सीबीआई ने सील कवर में कुछ कागजात भी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए हैं।कि कार्ति के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी करने के पीछ ठोस वजह हैं। उनकी विदेशों में कई जगह संपत्ति है और एक नहीं बल्कि कई कंपनियों में शेयर हैं।
वहीं कार्ति की ओर से वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा कि वो सीबीआई से जांच में सहयोग कर रहे हैं। सीबीआई का ये आरोप गलत है कि उनकी ब्रहांड में संपत्ति है।
गौरतलब है कि 18 अगस्त को पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम के खिलाफ लुक आउट कार्नर नोटिस के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कार्ति को 23 अगस्त कोसीबीआई के सामने पेश होने के निर्देश दिए थे। कोर्ट ने कहा था कि कार्ति को केस से संबंधित कागजात के साथ सीबीआई के सामने पेश हों। दिल्ली के सीबीआई हेडक्वार्टर में पेश होकर पूछताछ के वक्त कार्ति का वकील सीबीआई हेडक्वार्टर में दूसरे कमरे में रह सकता है। 23 अगस्त को कार्ति सीबीआई के सामने पेश हुए भी थे। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट की निगरानी में जांच से इंकार कर दिया था। चीफ जस्टिस जे एस खेहर और डीवाई चंद्रचूड की बेंच ने कहा था कि सीबीआई और कार्ति पूछताछ की रिपोर्ट दाखिल करेंगे। कोर्ट ने पूछा था कि अगर कार्ति से पूछताछ हो जाती है तो फिर लुक आउट सर्कुलर की जरूरत क्या है? फिलहाल सीबीआई के पास गिरफ्तारी के लायक मेटेरियल नहीं है अगर कोई मेटेरियल मिलता है तो कार्ति को गिरफ्तार किया जा सकता है।
सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से ASG तुषार मेहता ने कहा था कि एेसा नहीं कहा जा सकता कि एजेंसी के पास मेटेरियल नहीं है लेकिन कार्ति से तथ्यों का आमना सामना कराना है। कार्ति की ओर से पेश गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा था कि उनका INX मीडिया से कोई लेना देना नहीं है। ना ही उन्होंने उस कंपनी के साथ कोई काम किया है। वो इस मामले में आज भी सीबीआई के सामने पेश हो सकते हैं ये कहना गलत है कि वो कभी सीबीआई के सामने पेश नहीं हुए। 2014 में एक अन्य मामले में सीबीआई उनसे, उनके पिता से, मां से और यहां तक कि 80 साल की सास से भी पूछताछ कर चुकी है इस मामले में FIPB के सदस्य भी सीबीआई के सामने पेश हुए थे।
इससे पहले 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को दो टूक कह दिया था कि सीबीआई जांच में शामिल हुए बिना विदेश नहीं जा सकते। कोर्ट ने उनके खिलाफ जारी लुक आउट सर्कुलर फिर से प्रभावी कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के लुक आउट सर्कुलर पर अंतरिम रोक लगाने के आदेश पर स्टे लगा दिया था। गौरतलब है कि 10 अगस्त को मद्रास हाई कोर्ट ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति को राहत देते हुए उनके खिलाफ जारी लुकआउट नोटिस पर अंतरिम रोक लगा दी थी अदालत ने केंद्र सरकार से चार सितंबर के बाद इस मामले में जवाब देने को कहा है। आइएनएक्स मीडिया मामले में गृह मंत्रालय के तहत आने वाले विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण अधिकारी और आव्रजन ब्यूरो ने कार्ति के खिलाफ 16 जून कोनोटिस जारी किया था। कार्ति ने हाई कोर्ट में दायर याचिका में लुक आउट नोटिस रद करने की मांग की और इसे केंद्र सरकार की बदले की कार्रवाई बताया। उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में सीबीआई द्वारा जारी हर समन पर वे हाजिर हुए हैं। ऐसे में नोटिस जारी करने का कोई मतलब नहीं था। यह मामला आइएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड की मंजूरी मिलने में भ्रष्टाचार के आरोपों से जुड़ा हुआ है। उस समय पी चिदंबरम देश के वित्त मंत्री थे।