जम्मू कश्मीर अनुच्छेद 35 A को लेकर शरणार्थी भी पहुंचे सुप्रीम कोर्ट
LiveLaw News Network
5 Sept 2017 10:43 AM IST
सुप्रीम कोर्ट में जम्मू एवं कश्मीर राज्य को मिले विशेष दर्ज को लेकर यानी अनुच्छेद 35 A की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली एक और याचिका दायर की गई है। पूर्व सैनिक सहित तीन लोगों की ओर से दायर इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी कर पहले दायर इसी तरह की याचिकाओं के साथ जोड़ दिया है।
याचिका में भारतीय संविधान के अनुच्छेद-35ए और जम्मू एवं कश्मीर संविधान केखंड-छह को असंवैधानिक करार देने की गुहार की गई है। याचिका में कहा गया कि संविधान केअनुच्छेद-35 A और जम्मू एवं कश्मीर संविधान के खंड-छह विभाजन के बाद पश्चिम पाकिस्तान से कश्मीर में आए लोगों के साथ भेदभावपूर्ण है। उनका कहना है कि वे तीसरी पीढ़ी के लोग है लेकिन अब तक उन्हें जम्मू एवं कश्मीर के वांशिदें को मिलने वाला लाभ नहीं मिल रहा है। एेसे करीब तीन लाख लोग आज भी कश्मीर में तीन पीढियां बीतने के बावजूद शरणार्थी बने हुए हैं।
दरअसल इससे पहले जम्मू कश्मीर के स्थायी निवासियों के विशेषाधिकार से संबंधित अनुच्छेद 35 A को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दीवाली के बाद सुनवाई के लिए सहमति जतायी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सभी याचिकाओं पर दीवाली के बाद सुनवाई होगी। केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने मांग की थी कि मामले की सुनवाई दीवाली के बाद हो।
इससे पहले कोर्ट ने कहा था कि इस मामले की सुनवाई संवैधानिक बेंच द्वारा की जानी चाहिए। यदि यह अनुच्छेद संविधान के अधिकार क्षेत्र से बाहर है या इसमें कोई प्रक्रियागत खामी है। कोर्ट ने कहा था कि तीन जजो की बेंच मामले की सुनवाई करेगी और फिर इसे पांच जजों की संविधान पीठ के पास भेजेगी।
सुप्रीम कोर्ट वकील चारू वली खन्ना की ओर से संविधान के अनुच्छेद 35ए और जम्मू-कश्मीर के संविधान के प्रावधान छह को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है। दोनों प्रावधान जम्मू-कश्मीर के स्थाई निवासियों से जुड़े हुए हैं। इससे पहले भी वी द सिटीजन इस संबंध में याचिका दाखिल कर चुका है।
याचिका में कुछ विशेष प्रावधानों को चुनौती दी गयी है- राज्य के बाहर के किसी व्यक्ति से विवाह करने वाली महिला को संपत्ति का अधिकार नहीं मिलना। इस प्रावधान के तहत राज्य के बाहर के किसी व्यक्ति से विवाह करने वाली महिला का संपत्ति पर अधिकार समाप्त हो जाता है और उसके बेटे को भी संपत्ति का अधिकार नहीं मिलता। संविधान में 1954 में राष्ट्रपति आदेश से जोड़ा गया अनुच्छेद 35ए जम्मू-कश्मीर के स्थाई निवासियों को विशेषाधिकार और सुविधाएं देता है।
1954 में राष्ट्रपति आदेश पर अनुच्छेद 35 ए को संविधान में शामिल किया गया था जिसके अनुसार जम्मू कश्मीर के निवासियों को विशेषाधिकार दिया गया था।