बोफोर्स मामले में सुप्रीम कोर्ट अक्टूबर के दूसरे हफ्ते में करेगा सुनवाई
LiveLaw News Network
1 Sept 2017 12:06 PM IST
बोफोर्स तोप घोटाले मामले में दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अक्टूबर के दूसरे हफ्ते में सुनवाई करेगा।
शुक्रवार को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा , जस्टिस ए एम खानवेलकर और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि इस मामले में सुनवाई आठ अक्टूबर के बाद करेंगे। इस दौरान सीबीआई की ओर से ASG मनिंदर सिंह भी मौजूद रहे।
दरअसल बीजेपी नेता व वकील अजय अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट में मामले की जल्द सुनवाई के लिए याचिका दाखिल की थी। साल 1986 में 1437 करोड़ रुपये के बोफोर्स तोप घोटाले में भारतीय अधिकारियों को 64 करोड़ रुपये घूस देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दी गयी है।
याचिका में अग्रवाल ने कहा है कि सीबीआई ने इस मामले में 31 मई 2005 को दिल्ली हाई कोर्ट के दिए फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं दी। 2005 में दिल्ली हाई कोर्ट ने घोटाले में यूरोप में रहने वाले हिंदुजा भाईयों पर लगे सभी आरोपों को खारिज कर दिया था।
दिल्ली हाईकोर्ट के दिए फैसले के 90 दिनों के भीतर सीबीआई के इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं दिए जाने और मामले को रफा-दफा किए जाने के कथित आरोप के बाद अग्रवाल ने याचिका दाखिल कर फैसले को चुनौती दी है।
याचिका को लेकर बीजेपी नेता और वकील अजय अग्रवाल ने कहा है कि उन्होंने ये याचिका देशहित को ध्यान में रखकर सुप्रीम कोर्ट में लगाई है क्योंकि सीबीआई ने बोफोर्स घोटाले के मामले को उस वक्त आगे नहीं बढ़ाया जबकि कोर्ट का फैसला अवैध था। इसका कारण उस वक्त ये बताया गया था कि कानून मंत्रालय ने इसकी इजाजत सीबीआई को नहीं दी। अग्रवाल ने आरोप लगाया है कि घोटाले को लेकर जो उस वक्त आरोपियों और सीबीआई के बीच सांठ-गांठ हुई थी उसी के तहत लंदन में इटली के बिजनेसमैन ओत्तावियो क्वात्रोच्चि के बैंक अकाउंट को डीफ्रीज कर दिया गया था जो इस डील में बिचैलिया था। लेकिन मेट्रोपोलिटियन मजिस्ट्रेट तक को इसकी जानकारी देना जरूरी नहीं समझा।
इसी सिलसिले में उस वक्त एडिशनल सॉलिस्टर जनरल रहे जनरल बी दत्ता ने इंग्लैंड का दौरा भी किया था। उन्होंने कहा है कि ऐसा कदम तब उठाया गया था जब तत्कालीन यूपीए सरकार और सीबीआई को पता था कि इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में भी उठाया गया है। अग्रवाल ने आरोप लगाया है कि इस घोटाले में दिवंगत प्रधानमंत्री राजीव गांधी, क्वात्रोच्चि, विन चड्ढा, हिंदुआ भाई और सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ शामिल होने के पक्के सबूत थे। इसलिए सीबीआई की मदद से कांग्रेस सरकार ने 1986 से 2014 तक इस मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की थी।अग्रवाल ने सीबीआई निदेशक को इस मामले से जुड़े सारे दस्तावेज जांच ऐजेंसी को फिर उपलब्ध कराने का आग्रह किया है जो तीस हजारी कोर्ट से मिले थे। उन्होंने कहा है कि इस मामले की जांच होनी बहुत जरूरी है ताकि फिर से कोई राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर ऐसी हरकत करने की कोशिश भी ना कर सकें। उन्होंने आरोप लगाया है कि सीबीआई ने बिचौलिए क्वात्रोच्चि के बैंक अकाउंट को फिर से चालू करवा दिया
हालांकि ये मामला पहले से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है इसलिए अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट में जल्द सुनवाई की मांग की थी।