मुंबई की बारिश का असर, नहीं हो पाया 13 साल की रेप पीडित का मेडिकल परीक्षण

LiveLaw News Network

31 Aug 2017 6:42 AM GMT

  • मुंबई की बारिश का असर, नहीं हो पाया 13 साल की रेप पीडित का मेडिकल परीक्षण

    मुबई में हुई बारिश का असर सुप्रीम कोर्ट में भी देखने को मिला जब सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि मुंबई के हालात के चलते मेडिकल बोर्ड 13 साल की रेप पीडित का मेडिकल परीक्षण नहीं कर पाया। सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई स्थित सर जेजे ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल के मेडिकल बोर्ड को गर्भपात के लिए परीक्षण कर रिपोर्ट देने को कहा था।

    गुरुवार को जस्टिस एस ए बोबडे और एल नागेश्वर राय की बेंच ने कहा है कि  ये परीक्षण दो सितंबर को किया जाएगा और सुप्रीम कोर्ट अब पांच सितंबर को मामले की  सुनवाई करेगा। बच्ची की ओर से 30 हफ्ते के गर्भ का गर्भपात कराने की अर्जी दाखिल की है।

    वहीं सुप्रीम कोर्ट में इसी बेंच एक अन्य मामले में पूणे के अस्पताल के मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर 20 साल की महिला को गर्भपात की इजाजत दे दी। उसे करीब 25 हफ्ते का गर्भ है और बच्चे की खोपडी नहीं है।

    दरअसल 28 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने 13 वर्षीय रेप पीड़ित गर्भवती लड़की के स्वास्थ्य की जांच करने के लिए सोमवार को एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया था। यह नाबालिग लड़की 30 सप्ताह की गर्भवती है।

    जस्टिस एसए बोबड़े और जस्टिस एल नागे श्वर राव की पीठ ने निर्देश देते हुए कहा था कि इस नाबालिग लड़की के स्वास्थ्य की जांच के लिए मुंबई स्थित सर जेजे ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल में मेडिकल बोर्ड गठित किया जाए।

    बेंच ने इस मामले की सुनवाई 31 अगस्त के लिए तय करते हुए कहा था कि यह बोर्ड याचिकाकर्ता की बेटी की स्थिति और गर्भपात के बारे में सलाह देगा।  इस बीच, कोर्ट ने बगैर खोपड़ी वाले 24 सप्ताह के भ्रूण के गर्भपात की अनुमति के लिए दायर याचिका पर उसके स्वास्थ्य की जांच के लिए एक मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया था।  बेंच ने पुणे स्थित बीजे मेडिकल कॉलेज में मेडिकल बोर्ड गठित करने का आदेश दिया था जो 20 वर्षीय महिला का परीक्षण करके अपनी रिपोर्ट देगी।

    जस्टिस बोबड़े और जस्टिस राव ने इसके साथ ही केंद्र को नोटिस जारी किया था।  साथ ही इसकी एक प्रति सॉलिसीटर जनरल के पास भेजने का भी निर्देश दिया।

    वहीं सुनवाई के दौरान SG रंजीत कुमार ने कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार की ओर से सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को पत्र जारी कर कहा गया है कि वो एेसे मामलों में फौरन फैसला लेने के लिए एक मेडिकल बोर्ड का गठन करें जिसमें स्त्री रोग विशेषज्ञ, बाल विशेषज्ञ के अलावा रेडियोलॉजी, सोनोग्राफी समेत सभी मुख्य विभागों के विशेषज्ञ हों। SG ने कोर्ट को इस एडवायजरी की प्रति भी दी और बताया कि चंडीगढ के एक एेसे ही मामले की सुनवाई के दौरान तत्कालीन चीफ जस्टिस जे एस खेहर ने केंद्र से सभी राज्यों में मेडिकल बोर्ड के गठन के लिए कहा था।

    इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 28 जुलाई को चंडीगढ की एक 10 वर्षीय गर्भवती नाबालिग को 32 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद उसने एक बच्ची को जन्म दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने बच्ची को मुफ्त इलाज के अलावा दस लाख रुपये के मुआवजे के आदेश भी दिए हैं।

    गौरतलब है कि 20 सप्ताह के बाद गर्भपात पर प्रतिबंध है।

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