खेलों की लाइव फीड केबल आपरेटरों से साझा नहीं कर सकता प्रसार भारती : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]
LiveLaw News Network
23 Aug 2017 2:57 PM IST
क्रिकेट व राष्ट्रीय महत्व के खेलों की प्राइवेट ब्रॉडकास्टर के साझा की हुई फीड को प्रसार भारती अब सिर्फ टेरेस्ट्रियल नेटवर्क (terrestrial network) या फिर दूरदर्शन की DTH पर ही दिखा सकता है। कोर्ट ने कहा है कि प्रसार भारती इस लाइव फीड को केबल आपरेटरों को ये फीड नहीं दे सकता।
जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस नवीन सिन्हा की बेंच ने स्पोर्टस एक्ट 2007 के सेक्शन तीन का हवाला देते हुए कहा कि निजी ब्रॉडकास्टर को राष्ट्रीय महत्व रखने वाले खेलों को प्रसार भारती के साथ शेयर करना आवश्यक होगा, लेकिन प्रसार भारती इसका इस्तेमाल किसी अन्य केबल आपरेटरों को नहीं दे सकेगा। अगर किसी अन्य आपरेटर को फीड लेनी है तो अब उसे प्राइवेट डिस्ट्रीब्यूशन प्लेटफॉर्म्स से ही इसे हासिल करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला केंद्र, प्रसार भारती और होम केबल नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड की याचिका को खारिज करते हुए सुनाया और दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगा दी। हाईकोर्ट ने कहा था कि ESPN/ STAR स्पोर्टस एक्ट के सेक्शन तीन के तहत प्रसार भारती के साथ ब्रॉडकास्टिंग राइटस साझा करता है। लेकिन ये केबल टीवी नेटवर्क एक्ट के सेक्शन 8 के तहत केबल आपरेटरों को दूरदर्शन के चैनलों के तहत अनिवार्य तौर पर नहीं दिए जा सकते।
हाईकोर्ट का ये आदेश BCCI, निंबस कम्युनिकेशन लिमिटेड, ESPN सॉफ्टवेयर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और स्टार इंडिया प्राइवेट लिमिटेड समेत कई याचिकाओं पर आया था।
दरअसल मामला ये था कि BCCI क्रिकेट मैचों के लिए राइट मालिक था। उसने मैचों के राइट ESPN/ STAR को बेच दिए थे और वो इस लाइव फीड को अपनी सेटेलाइट तक भेजते थे।
सेटेलाइस ये ये फीड उनके अपने चैनल ESPN/ STAR sports, STAR cricket, Star Sports 2, Star Cricket HD और ESPN HD को DTH या केबल आपरेटर के जरिए डिस्ट्रीब्यूशन के जरिए भेजा जाता था। ये सब सदस्यता वाली सेवाएं हैं।
हालांकि ये सब अपने चैनल होने के बावजूद ESPN/ STAR ये सिग्नल प्रसार भारती के साथ साझा करता है और प्रसार भारती इसे अपने सेटेलाइट को भेजता है और इसके बाद इसे तीन अलग अलग नेटवर्क प्रसार भारती के DTH, DD केंद्र और निजी केबल आपरेटरों को भेजा जाता है और ये केबल टीवी एक्ट से तहत होता है।
वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे, पी चिदंबरम और गोपाल जैन अपनी सहायक वकील रूबी सिंह के साथ पेश हुए और दलीलें रखीं कि केबल आपरेटर दो अलग अलग माध्यम से खेलों के ब्राडकास्टिंग फीड लेते हैं। एक तो वो ESPN/ STAR से फीड लेते हैं जो कि फीस लेते है जबकि और दूसरा दूरदर्शन के चैनलों से फीड लेते है जो फ्री है। इससे ESPN/ STAR को दोनों ओर से नुकसान होता है क्योंकि उसका विज्ञापन राजस्व और सदस्यता राजस्व में कमी आती है।
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि केबल एक्ट 1995 का सेक्शन 8 बनाया गया ताकि केबल आपरेटर देश में हो रही खबरों व सूचनाओं और सरकारी योजनाओं को घरों तक पहुंचा सकें और उन पर दूरदर्शन जैसे सरकारी चैनलों व संसद व सरकार द्वारा घोषित चैनलों को दिखाने की जवाबदेही दी गई। इसी तरह स्पोर्टस ब्रॉडकास्टिंग सिग्नल्स एक्ट 2007 में तय किया गया कि ESPN और स्टार इंडिया राष्ट्रीय महत्व के खेलों के प्रसारण को प्रसार भारती के साथ साझा करेंगे। वहीं DD 1 का राष्ट्रीय चैनल क्रिकेट मैचों का प्रसारण केबल आपरेटरों को देगा क्योंकि उसकी सबसे ज्यादा पहुंच है। एेसे में आपरेटरों को राइट मालिकों से फीड लेने की जरूरत नहीं क्योंकि उनके सीधे निशुल्क खेलों की सीधे प्रसारण की फीड मिल रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक्ट से साफ है कि राइट मालिकों को केबल आपरेटरों को फीड देने का अधिकार नहीं है। चूंकि इस मुद्दे पर कोई कानून नहीं है इसलिए स्पोर्टस एक्ट 2007 पर केबल एक्ट 1995 के सेक्शन 8 का कोई नियंत्रण नहीं है।