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घर में शौचालय ना होना ' क्रूरता 'के समान, फैमिली कोर्ट ने महिला को तलाक दिया

LiveLaw News Network
20 Aug 2017 2:47 PM GMT
घर में शौचालय ना होना  क्रूरता के समान,  फैमिली कोर्ट ने महिला को तलाक दिया
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घर में शौचालय ना होने पर राजस्थान की भीलवाडा की एक फैमिली कोर्ट ने एक महिला की तलाक की अर्जी को मंजूर कर लिया। कोर्ट ने माना कि अगर घर में शौचालय नहीं है तो ये क्रूरता की श्रेणी में आता है।

जज राजेंद्र शर्मा ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या हमें ये दुख देता है कि हमारी मां और बहनों को शौच के लिए बाहर जाना पडता है। गांव की महिलाओं को शौच जाने के लिए अंधेरा होने का इंतजार करना पडता है और इसके परिणामस्वरूप वो शारीरिक पीडा सहती हैं। ये दुखद है कि लोग शराब, तंबाकू और मोबाइल फोन पर इतना पैसा खर्च करते हैं और उनके घर में शौचालय तक नहीं है।

जज ने ये भी कहा कि घर में शौचालय होना चाहिए था और खुले में शौच के लिए जाना महिला के लिए टार्चर और समाज के लिए निरादर था।

महिला की ओर से वकील राजेश शर्मा का कहना था कि महिला ने 20 अक्टूबर 2015 को कोर्ट में तलाक की याचिका दाखिल की थी।  महिला की शादी 2011 में हुई थी और तभी से वो अपने पति से घर में शौचालय बनाने की मांग कर रही थी। कई बार आश्वासन देने के बावजूद पति ने शौचालय नहीं बनवाया और वो महिला को खुले में शौच जाने को मजबूर कर रहा था।

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