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दो पुलिस अफसरों की रिटायरमेंट के बाद नियुक्ति पर खुद फैसला कर कोर्ट को बताए गुजरात सरकार : सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network
16 Aug 2017 5:01 PM GMT
दो पुलिस अफसरों की रिटायरमेंट के बाद नियुक्ति पर खुद फैसला कर कोर्ट को बताए गुजरात सरकार : सुप्रीम कोर्ट
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सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात में पुलिस अफसर NK अमीन और तरूण बारोट को रिटायरमेंट के बाद कांट्रेक्ट से आधार नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए गुजरात सरकार से मामले में फैसला लेने को कहा है। कोर्ट ने दोनों अफसरों से भी खुद फैसला कर गुरुवार को कोर्ट में बताने को कहा है कि वो पद पर बने रहना चाहते हैं या नहीं ?
मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस खेहर की बेंच ने कहा कि पूर्व IPS अफसर पीपी पांडे मामले की तरह इस केस में भी फैसला लिया जाना चाहिए। कोर्ट ये नहीं कह रहा कि वो दूसरे मामलों में जेल गए थे लेकिन अफसरों को इस पर सोचना चाहिए। उनके जवाब के बाद ही कोर्ट इस मामले में दखल देगा।

वहीं गुजरात सरकार की ओर से ASG तुषार मेहता ने कहा कि दोनों अच्छे अफसर हैं इसलिए उन्हें रिटायरमेंट के बाद कांट्रेक्ट पर रखा गया है।ये नियुक्तियां गुजरात पुलिस एक्ट में मौजूद नियम के तहत ही हुई हैं और दूसरे राज्यों में भी एेसे नियुक्तियां होती हैं। सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को मामले की सुनवाई करेगा।
दरअसल 21 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गुजरात सरकार को नोटिस भेजकर दो हफ्ते में जवाब मांगा था। अमीन इशरत जहां एनकाउंटर में आरोपी हैं और शोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में भी आरोपी थे लेकिन कोर्ट से आरोपमुक्त हो चुके है।

पूर्व IPS अफसर राहुल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में कहा है कि
गुजरात सरकार ने अगस्त 2016 में रिटायरमेंट के बाद तापी का SP बनाया है जबकि तरूण बारोट सादिक जमाल और इशरत जहां केस में आरोपी रहे हैं लेकिन सरकार ने उन्हें रेलवे में डिप्टी SP बनाया गया है। दोनों की नियुक्तियां रद्द की जानी चाहिए।

गौरतलब है कि गुजरात में IPS पीपी पांडे को एक्सटेंशन देकर कार्यकारी DGP बनाने का मामला भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। इस साल तीन अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पीपी पांडे गुजरात के कार्यकारी डीजीपी तुरंत पद से मुक्त होंगे। गुजरात सरकार उन्हें दिए गए एक्सटेंशन को वापस लेने का नोटिफिकेशन जारी करेगी। कोर्ट ने याचिका का निपटारा किया था। इशरत जहां केस में आरोपी पीपी पांडे के बारे में गुजरात सरकार ने कोर्ट में बताया था कि पीपी पांडे ने खुद ही सरकार को लिखा है कि वो पद छोडना चाहते हैं। सरकार चाहती थी वो छह महीने तक पद पर रहे लेकिन केंद्र ने उन्हें 30 अप्रैल तक ही एक्सटेंशन दिया है। इशरत केस में अभी चार्जशीट फाइल हुई है चार्ज फ्रेम नहीं हुए। वो गवाहों या सबूतों को प्रभावित नहीं कर सकते। इसलिए उन्हें 30 अप्रैल को रिटायर होने दिया जाए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो पहले ही रिटायर हो चुके हैं और ये सिर्फ एक्सटेंशन है।
रिटायर्ड IPS अफसर जूलियो रिबेरो की याचिका में कहा गया था कि पीपी पांडे इशरत जहां समेत कई केस में आरोपी रहे हैं लेकिन सरकार ने रिटायरमेंट के बाद एक्सटेंशन देकर गुजरात का कार्यकारी DGP बना दिया है
इससे तमाम केसों की जांच के वो प्रभारी हो गए हैं और केसों में गवाही देने वाले पुलिसवालों के मुखिया हो गए हैं। एेसे में वो केसों को प्रभावित करेंगे। इसलिए उनको पद से हटाया जाए।

पिछले साल मई मे गुजरात सरकार के चार हत्या के आरोप झेल रहे भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी पीपी पांडे को गुजरात राज्य का कार्यकारी पुलिस महानिदेशक बनाने के खिलाफ में सेवा निवृत्त अधिकारी जूलियो फ्रांसिस रिबेरो ने गुजरात हाईकोर्ट में भी चुनौती देकर उक्त नियुक्ति को निरस्त करने की मांग की थी। हालांकि गुजरात हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दिया था।

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