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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह चाइल्ड मैरिज प्रोहिबिशन एक्ट के अमल संबंधी डाटा पेश करे

LiveLaw News Network
10 Aug 2017 8:03 AM GMT
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह चाइल्ड मैरिज प्रोहिबिशन एक्ट के अमल संबंधी डाटा पेश करे
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सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मदन बी लोकूर और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने बुधवार को कहा है कि केंद्र सरकार बताए कि कितने चाइल्ज मैरिज प्रोहिबिशन ऑफिसर नियुक्त हुए हैं। उनकी संख्या क्या है। एक्ट के तहत ये ऑफिसर बनाए जाने हैं। साथ ही चाइल्ड मैरिज प्रोहिबशन एक्ट के तहत कितने मुकदमे चलाए गए हैं। तीन साल का डाटा पेश किया जाए।

याचिकाकर्ता वकील गौरव अग्रवाल से सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि वह बताएं कि 15 से 18 साल की लड़की का हेल्थ की क्या स्टडी है। इस बारे में हाल की स्टडी रिपोर्ट पेश की जाए। याचिकाकर्ता ने रेप की परिभाषा से संबंधित आईपीसी की धारा-375 के अपवाद को चुनौती दी है। अपवाद 2 में कहा गया है कि 15 से 18 साल की लड़की अगर किसी की पत्नी है तो उसके साथ शारीरिक संबंध बनाया जाना तो रेप नहीं होगा। इस प्रावधान को याचिकाकर्ता ने चुनौती दी है और कहा है कि ये गैर संवैधानिक है और ये अनुच्छेद-14, 15 और 21 का उल्लंघन करता है। साथ ही जेजे एक्ट और चाइल्ड मैरिज प्रोहिबिशन एक्ट भी बच्चों के साथ सेक्सुअल प्रताड़ना को रोकता है और प्रावधान कहता है कि बच्चों के साथ एेसा नहीं किया जा सकता। संसद ने गलत तरीके से 15 से 18 साल की शादीशुदा बच्ची के साथ संबंध की इजाजत दी है।

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