रेप मामले में दर्ज केस अभियुक्त और पिड़ित की शादी होने से रद्द नहीं हो सकता: दिल्ली हाई कोर्ट [आदेश पढ़ें]

LiveLaw News Network

4 Aug 2017 3:38 PM GMT

  • रेप मामले में दर्ज केस अभियुक्त और पिड़ित की शादी होने से रद्द नहीं हो सकता: दिल्ली हाई कोर्ट [आदेश पढ़ें]

    दिल्ली हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक जजमेंट का हवाला देकर कहा है कि आरोपी अगर शिकायती लड़की से शादी भी कर ले तो भी रेप का केस रद्द नहीं हो सकता। सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञान सिंह बनाम स्टेट ऑफ पंजाब के केस में व्यवस्था दी थी कि रेप केस में समझौते के आधार पर केस रद्द नहीं हो सकता।

    हाई कोर्ट ने कहा कि ज्ञान सिंह के वाद में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि रेप का मामला समाज के खिलाफ किया गया अपराध है और चाहे आरोपी ने पीड़िता से शादी ही क्यों न कर ली हो ऐेसे मामले में सीआरपीसी की धारा-482 के तहत हाई कोर्ट रेप का केस रद्द नहीं कर सकता। कोर्ट में याचिकाकर्ता विकास कुमार की ओऱ से अर्जी दाखिल कर कहा गया कि रेप, मारपीट और धमकी के मामले में दर्ज केस को रद्द किया जाना चाहिए क्योंकि शिकायती से उसकी शादी हो चुकी है और दोनों शादीशुदा जिंदगी जी रहे हैं। साथ ही इस मामले में लड़की ने भी कोर्ट को बताया कि शादी हो चुकी है लिहाजा केस रद्द किया जाए।

    याचिकाकर्ता ने कहा कि दोनों में संबंध बने थे और जो भी संबंध बने वह सहमति से बने थे। दोनों की मई में शादी हुई है लेकिन इससे कुछ दिन पहले गलतफहमी के कारण रेप का केस दर्ज हुआ था। कोर्ट ने सवाल किया कि मुद्दा ये है कि क्या शादी के आधार पर रेप का केस रद्द हो सकता है। अदालत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट से साफ है कि ऐसे मामले में केस रद्द नहीं हो सकता और अर्जी खारिज कर दी।


    Next Story