गर्भवती चाइल़्ड रेप विक्टिम मामले में 20 हफ्ते से उपर भ्रूण को टर्मिनेट करने की इजाजत दी जाए: सुप्रीम कोर्ट में याचिका
LiveLaw News Network
22 July 2017 8:34 PM IST
सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि रेप विक्टिम गर्भवती के मामले में एमटीपी एक्ट में बदलाव किया जाए और उन्हें मेडिकल बोर्ड द्वारा एग्जामिन किए जाने के बाद 20 हफ्ते के बाद उपर की प्रिगनेंसी को भी टर्मिनेट करने की इजाजत दी जाए।
सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर इसके लिए गाइडलाइंस बनाए जाने की मांग की गई है। इशके लिए प्रत्येक जिले में मेडिकल बोर्ड गठित करने की मांग की गई है। रेप विक्टिम अगर गर्भवती हो तो उनके मामले में 20 हफ्ते से ज्यादा की प्रिगनेंसी टर्मिनेट करने के मामले में कानून में बदलाव किया जाए। एमटीपी एक्ट (मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रिग्नेंसी) 1971 की धारा-3 मेंबदलाव के लिए याचिका दायर की गई है। इसके लिए अपवाद तय करने की गुहार लगाई गई है और कहा गया है कि रेप विक्टिम की प्रिगनेंसी के केस में 20 हफ्ते से ज्यादा की प्रिगनेंसी को भी टर्मिनेट की इजाजत होनी चाहिए।
याचिकाकर्ता वकील अलख आलोक श्रीवास्तव की ओऱ से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया है कि 10 साल की बच्ची जिसके मामा ने उसके साथ लगातार बलात्कार किया। इस कारण वह 7 महीने की गर्भवती है। याचिकाकर्ता ने चंडीगढ़ जिला अदालत में अर्जी दाखिल कर प्रिगनेंसी टर्मिनेट करने की इजाजत मांगी लेकिन एमटीपी के प्रावधान और मेडिकल रिपोर्ट का हवाला देकर अर्जी खारिज कर दी गई।
अर्जी में कहा गया है कि एम्स में मेडिकल बोर्ड का गठन हो ताकि बच्ची का मेडिकल एग्जामिनेशन हो सके और उसका सेफ तरीके से गर्भपात कराया जा सके। याचिकाकर्ता का कहना है कि प्रिगनेंसी के कारण उसकी लाइफ को खतरा है। याचिकाकर्ता का कहना है कि एक गाइडलाइंस बने और एक्ट में बदलाव हो। खासकर चाइल्ड रेप विक्टिम मामले को अपवाद में रखा जाए। चाइल्ड रेप विक्टिम के लाइफ को खतरा होता है और पैदा होने वाले बच्चे को भी खतरा होता है। क्योंकि कई मामलों में 20 हफ्ते बाद गर्भ का पता चलता है। देश में कई मामले चाइल्ड रेप के सामने आए हैं औऱ इस कारण गर्भवती होने का भी केस है। एक्ट 20 हफ्ते की लिमिट तय करता है और ऐस में रेप विक्टिम के गर्भ का टर्मिनेशन नहीं हो पाता है। कम उम्र के कारण बच्ची भी कमजोर होती है और पैदा होने वाले बच्चे का स्वास्थ्य भी खतरे में होता है। ये जबर्दस्त मेंटल और साइकोलॉजिकल ट्रॉमा पैदा करता है। ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश में एमटीपी एक्ट में चाइल्ड रेप विक्टिम के मामले में बदलाव नहीं हो पाया है।