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46 फीसदी लंबित मामलों में सरकार है पक्षकार,कानून मंत्रालय कर रहा है इस हिस्सेदारी को कम करने पर विचार

LiveLaw News Network
25 Jun 2017 6:41 AM GMT
46 फीसदी लंबित मामलों में सरकार है पक्षकार,कानून मंत्रालय कर रहा है इस हिस्सेदारी को कम करने पर विचार
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केंद्र सरकार लंबित मामलों में अपनी हिस्सेदारी कम करने पर विचार कर रही है।


सोमवार को एक बैठक में लाॅ मिनिस्ट्री के डिपार्टमेंट आॅफ जस्टिस ने इस बात पर विचार किया कि किस तरह से लंबित मामलों की संख्या में कमी लाई जाए। इस विचार-विमर्श में सामने आया कि देशभर की अदालतों में इस समय तीन करोड़ से ज्यादा केस लंबित है,जिनमें से 46 प्रतिशत मामलों के लिए केंद्र या राज्य सरकार जिम्मेदार व पक्षकार है। यह सूचना लीगल इंफार्मेशन मैनेजमेंट एंड ब्रीफिंग सिस्टम(एलआईएमबीएस) द्वारा उपलब्ध कराए गए आकड़ों को देखने के बाद सामने आई थी।


 प्रतिभागियों ने यह भी पाया कि सभी राज्यों ने स्टेट लिटिगेशन पाॅलिसी बना ली है,परंतु नेशनल लिटिगेशन पाॅलिसी अभी पाइप लाइन में है। इस पाॅलिसी का उद्देश्य है कि ऐसी प्रक्रिया उपलब्ध कराई जाए ताकि सरकारी लिटिगेशन की संख्या में कमी आए और विभिन्न विवादों को निपटाने के वैकल्पिक तरीकों पर विचार किया जाए।


डिपार्टमेंट ने निम्नलिखित सुझाव दिए है ताकि लंबित मामलों की संख्या कम की जा सके -


-विभिन्न विवादों को प्रभावी तरीके से निपटाने के लिए हर डिपार्टमेंट में संयुक्त सचिव के स्तर पर एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की जाए,जो इस काम में सहयोग कर सके।


-नोडल अधिकारी विभिन्न केस के स्टे्टस की नियमित तौर पर निगरानी करेगा।


-विवादों को निपटाने की वैकल्पिक प्रक्रिया का प्रचार किया जाए।


-सर्विस से संबंधित विवादों को निपटाने के लिए मध्यस्था को बढ़ावा दिया जाना क्योंकि ऐसे मामलों के निपटाने के लिए यह एक अच्छा तरीका है।

- बिना वजह की अपील दायर करने से बचा जाए।


-सरकार व प्राइवेट बाॅडी के बीच के विवादों को निपटाने के लिए एक एडीआर प्रक्रिया बनाने पर विचार किया जाए।


- अफसोसनाक लिटिगेशन को तुरंत वापस लिया जाए।


इतना ही नहीं केंद्र ने आॅनलाइन मेडिएशन या मध्यस्था शुरू करने के प्रस्ताव पर भी विचार किया है। यह विचार बैंगलोर के आॅनलाइन कंज्यूमर मेडिएशन सेंटर,एनएलएसआईयू की तर्ज पर शुरू किया जाएगा।


इस आॅनलाइन प्लेटफार्म का उद्देश्य है,’एनीटाईम एनीवेहयर डिस्प्यूट रिजाॅलूशन’ ताकि शिकायकर्ता आॅनलाइन अपनी शिकायत दर्ज करा सके,जिसके बाद इस शिकायत को कंपनी के पास भेज दिया जाता है और दोनों पक्षों को तीस दिन का समय मिलता है ताकि वह आपस में बातचीत करके अपने मामले को सुलझा ले। अगर मामला नहीं सुलझता है तो दोनों पक्ष मध्यस्था के विकल्प पर विचार कर सकते है। जिसमें प्लेटफार्म इस मामले को सुलझाने के लिए एक तीसरा तटस्थ मध्यस्थ नियुक्त कर देता है।


सरकार से संबंधित मामलों में आॅनलाइन शिकायत दर्ज होने के बाद उसे संबंधित विभाग के पास भेज दिया जाएगा। अगर तीस दिन के अंदर विवाद का निपटारा नहीं होता है तो उसके बाद बाद नोडल अधिकारी या पैनल अधिकारी इस मामले में मध्यस्था शुरू करवाने के लिए जिम्मेदार होंगे और मामले को मध्यस्था के लिए भेज दिया जाएगा।
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