1993 बम ब्लास्ट केस-24 साल बाद अबू सलेम,मुस्तफा दोस्सा व चार अन्य को किया गया टाडा,आईपीसी व आर्म्स एक्ट के तहत दोषी करार

LiveLaw News Network

23 Jun 2017 6:53 AM GMT

  • 1993 बम ब्लास्ट केस-24 साल बाद अबू सलेम,मुस्तफा दोस्सा व चार अन्य को किया गया टाडा,आईपीसी व आर्म्स एक्ट के तहत दोषी करार

    स्पेशल टाडा कोर्ट ने 1993 मुंबई बम ब्लास्ट मामले में अबू सलेम और 5 अन्य को दोषी करार दिया है।

    24 साल बाद अबू सलेम,मुस्तफा दोस्सा व चार अन्य को टाडा व आईपीसी के अलावा आर्म्स एक्ट के तहत कोर्ट ने दोषी करार दिया है।

    हालांकि अभियुक्तों को भारतीय दंड संहिता की धारा 121 (भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने या छेड़ने का प्रयास करने,या ऐसा करने के लिए उकसाने) के तहत दोषी नहीं पाया गया है। स्पेशल टेररिजम एंड डिस्रप्टिव एक्टिविटी एक्ट(टाडा) कोर्ट ने शुक्रवार को अबू सलेम,मुस्तफा दोस्सा व चार अन्य को वर्ष 1993 के बाॅम्बे ब्लास्ट के लिए षड्यंत्र रचने व बाॅम्बे के दिल में इन धमाकों को अंजाम देने का दोषी पाया है। इन ब्लास्ट में 257 लोग मारे गए थे।

    विशेष टाडा जज जी ए सनाप ने इस मामले में अबू सलेम,मुस्तफा दोस्सा,करीमुल्लाह खान,फिरोज अब्दुल राशिद खान,रियाज सिद्दकी व ताहिर मर्चेंट को भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी,302,307,326,427,435,436, 201 व 212,टेररिस्ट एंड डिस्रप्टिव एक्टिविटी रैपिट प्रोटेक्शन एक्ट की धारा 3,3(3),5 व 6,आर्म्स एक्ट की धाराएं,एक्सलोसिव सबसटेंस एक्ट व प्रीवेंशन आॅफ डैमेज टू पब्लिक प्राॅपर्टी एक्ट के तहत दोषी पाया है।

    अब्दुल कययुम करीम शेख अकेला ऐसा आरोपी है,जिसे सभी आरोपों से कोर्ट ने बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष अपने आरोप साबित करने में नाकाम रहा है और इसके खिलाफ पेश साक्ष्य विश्वसनीय नहीं है।

    हालांकि सभी अभियुक्तों को भारतीय दंड संहिता की धारा 121 (भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने या छेड़ने का प्रयास करने,या ऐसा करने के लिए उकसाने) के तहत दोषी नहीं पाया गया है।

    कोर्ट ने अभियोजन पक्ष की उन दलीलों को स्वीकार कर लिया है,जिसके तहत बताया गया था कि छह दिसम्बर 1992 को बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद उसका बदला लेने के लिए दुबई में मुस्तफा दोस्सा के घर पर षड्यंत्र रचा गया। उस समय मुख्य आरोपी दाउद इब्राहिम,अनीश इब्राहिम,टाईगर मैनन,इजाज पठान व मोहम्मद दोस्सा भी मौजूद थे। हिंदुओं व हिंदू नेताओं को सबक सिखाने के लिए आर्म्स व विस्फोटक भारत भेजने का निर्णय लिया गया था।

    अब सलेम ने ब्लास्ट में प्रयोग किए गए आर्म्स व विस्फोटक सामग्री को भेजने व बांटने का काम किया। मुस्तफा ने आर्म्स व विस्फोटक सामग्री के लिए मुम्बई में प्रबंध किए और कुछ लोगों को पाकिस्तान में ट्रेनिंग के लिए भेजा।

    सलेम का प्रत्यार्पण पुर्तगाल से किया गया था,जबकि दोस्सा को यूएई से प्रत्यार्पण करवाकर भारत लाया गया था। करीमुल्लाह खान को आरडीएक्स के प्रभाव के बारे में पता था और उसने विस्फोटक को शहर में लाने में सहायता की ताकि इसका प्रयोग ब्लास्ट में किया जा सके।

    12 मार्च 1993 को मुम्बई के अलग-अलग इलाकों में 12 बम ब्लास्ट किए गए थे,जिनमें 257 लोग मारे गए और 713 लोग घायल हुए थे। इन ब्लास्ट में लगभग 23 करोड़ रूपए के मूल्य की संपत्ति का भी नुकसान हुआ था।

    इस मामले में 129 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था,जिनमें से सौ को दोषी करार दिया जा चुका है। वर्ष 2006 में 12 आरोपियों को फांसी की सजा दी गई थी,जब बीस आरोपियों को उम्रकैद की सजा। हालांकि बाद में निचली अदालत ने दस आरोपियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया था।

    कोर्ट ने यह भी कहा कि अबू सलेम ने एक्टर संजय दत्त के घर एके-56 डिलिवर की थी। संजय दत्त को इस मामले में आम्र्स एक्ट के तहत दोषी करार दिया जा चुका है। सोमवार को सजा पर बहस होगी।

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