अगर आरोपियों के खिलाफ नहीं बनता है संज्ञेय अपराध तो रद्द हो सकता है केस का वह पार्ट-सुप्रीम कोर्ट
LiveLaw News Network
31 May 2017 8:06 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर आरोपियों के खिलाफ मामले की जांच चल रही हो तो इस आधार पर सह आरोपियों के खिलाफ मामला नहीं चल सकता। सह आरोपियों के खिलाफ अगर संज्ञेय अपराध का मामला नहीं बनता तो केस का वह पार्ट रद्द हो सकता है। बेंच ने कहा कि सह-आरोपियों के खिलाफ जांच चल रही है,इस आधार पर याचिकाकर्ताओं को किसी शिकायत के मामले में कष्ट झेलने नहीं दिया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक संक्षिप्त आदेश में कहा कि अगर कुछ आरोपियों के खिलाफ संज्ञेय अपराध नहीं बनता है तो उनके मामले में प्राथमिकी का एक हिस्सा रद्द किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति पिंकी चंद्रा घोष व न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन की खंडपीठ ने लवली सालहोत्रा बनाम स्टेट के मामले में हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया है और कहा है कि कोर्ट सिर्फ इस आधार पर प्राथमिकी को रद्द करने से इंकार नहीं कर सकती है क्योंकि मामले के सह-आरोपियों के खिलाफ अभी जांच चल रही है।
याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट के समक्ष शिकायत को रद्द करने की मांग करते हुए कहा था कि प्राथमिकी को पढ़ने के बाद पाया गया है कि उनके खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है।
केस को रद्द करने से इंकार करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि यह नहीं कहा जा सकता है कि प्राथमिकी को पढ़ने के बाद प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई संज्ञेय अपराध नहीं बनता है। इतना ही नहीं जांच की इस स्टेज पर प्राथमिकी को रद्द नहीं किया जा सकता है क्योंकि इस मामले में शामिल अन्य आरोपियों के खिलाफ जांच चल रही है। मामले की आरोपी नम्बर एक माधवी खुराना के खिलाफ अभी भी जांच जारी है,ऐसे में प्राथमिकी हिस्सों में बंट जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में प्राथमिकी इसलिए दर्ज कराई गई है ताकि याचिकाकर्ताओं पर दबाव बनाया जा सकें और वह अपनी एनआई एक्ट की धारा 138 के तहत दायर आपराधिक शिकायत को जारी न रखे। हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए शीर्ष कोर्ट ने कहा कि मामले के तथ्यों को ध्यान में रखा जाना जरूरी है और सह-आरोपियों के खिलाफ जांच चल रही है,इस आधार पर याचिकाकर्ताओं को इस शिकायत के मामले में कष्ट झेलने नहीं दिया जा सकता है।