कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले कर्मियों को भी मिले मैटरनिटी एक्ट का लाभ-एमपी हाईकोर्ट
LiveLaw News Network
31 May 2017 2:13 PM GMT
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले कर्मियों को भी मेटरनिटी बेनिफिट एक्ट का लाभ मिलना चाहिए। अर्चना पांडेय बनाम द स्टेट आॅफ मध्य प्रदेश के एक मामले में सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि अनुबंध पर रखे कर्मचारियों को भी स्थाई कर्मचारियों के समांतर मैटरनिटी लीव दी जानी चाहिए।
इस मामले में राज्य सरकार ने नियुक्ति के अनुबंध को आधार पर बनाते हुए मैटरनिटी लीव देने से इंकार कर दिया था। इस अनुबंध में लिखा था कि अनुबंध पर रखे कर्मचारियों को अपनी सेवा का एक साल पूरा करने के बाद ही मैटरनिटी लीव मिल सकती है।
न्यायमूर्ति एस पाॅल ने कहा कि मैटरनिटी बैनिफिट एक्ट की धारा 27 के तहत इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि किस तरह की और कितने समय की नियुक्ति की गई है,नियोक्ता संवैधानिक तौर पर बाध्य है कि वह महिला कर्मचारी को वह सभी सुविधा उपलब्ध कराए,जो एक बच्चे के जन्म के समय जरूरी है।
हाई कोर्ट के एक अन्य फैसले का हवाला देते हुए मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने कहा कि अगर अनुबंध पर रखे कर्मचारी को अगर मैटरनिटी लीव नहीं दी गई तो यह कानून के विरोधाभासी होगा।
हाईकोर्ट ने इस मामले में दायर याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि नियुक्ति की प्रकृति के अनुसार मैटरनिटी लीव नहीं बदलती है। यह एक महिला के मानवीय अधिकारों से संबंधित है। वहीं संवैधानिक स्कीम, राईट टू लाइफ,राईट टू लिव विद डिग्निटी एंड प्रोटेक्ट दा हेल्थ आॅफ बोथ मदर एंड चाईल्ड के तहत नियोक्ता व कोर्ट इसको मानने के लिए बाध्य है।