दुष्कर्म आरोपी के सुधार के लिए उठाए जाए उचित कदमः दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया सुझाव

LiveLaw News Network

7 April 2017 11:47 AM GMT

  • दुष्कर्म आरोपी के सुधार के लिए उठाए जाए उचित कदमः दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया सुझाव

    दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को तिहाड़ जेल के अधीक्षक को निर्देश दिया है कि रेप के केस में दस साल कैद की सजा पाए एक आरोपी के सुधार के लिए उचित कदम उठाए।

    न्यायमूर्ति गीता मित्तल व न्यायमूर्ति अनू मल्होत्रा की खंडपीठ ने अपने आदेश में इस आरोपी को निचली अदालत द्वारा दी गई उम्रकैद की सजा में संशोधन करके उसे दस साल कैद में तब्दील कर दिया है।

    खंडपीठ ने ऐसा निर्णय गंभीरता कम करने वाले कई परिस्थितिजन्य साक्ष्यों को देखने के बाद दिया है। खंडपीठ ने कहा कि मामले के तमाम तथ्यों व मामले की गंभीरता को देखने के बाद आरोपी को पुर्नवास का एक मौका दिया जा रहा है ताकि वह समाज के लिए अपना योगदान दे सकें। इसलिए यह उचित रहेगा कि आरोपी को निचली अदालत द्वारा दी गई उम्रकैद की सजा में संशोधन करके उसे दस साल कर दिया जाए। साथ ही आरोपी को पांच हजार रूप्ए जुर्माना देना होगा। अगर उसने जुर्माने की राशि नहीं दी तो उसे छह महीने की साधारण कैद काटनी होगी।

    खंडपीठ ने इस मामले में तिहाड़ जेल,नई दिल्ली के अधीक्षक को निर्देश दिया है कि अगर संभव हो तो वह आरोपी के उचित प्रोग्राम उपलब्ध कराए। इसी जेल में आरोपी को अपनी बाकी की सजा काटने के लिए रखा जाएगा।

    -ध्यान थैरेपी के जरिए उचित सुधारत्मक कोर्स करवाए।

    - पढ़ने का मौका दिया जाए,वोकेशनल ट्रेनिंग और स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम आदि उपलब्ध कराए जाएं ताकि वह अपनी आजीविका या अपना कोई काम शुरू करने के योग्य हो सकें।

    -खेल-कूद व क्रिएटिव आर्ट थैरेपी में शामिल करना।

    -आरोपी के जेल से रिहा होने से पहले ही उसके पुर्नवास के लिए उचित कदम उठाए जाए ताकि वह बाहर जाकर आत्मनिर्भर बन सकें।

    -माॅडल प्रीजन मैन्युुअल 2016 के चैप्टर 22 क्लाज 22.22( 2) के तहत यह सुनिश्चित किया जाए कि आरोपी किसी असामाजिक तत्व या समूह और हतोत्साहित व्यक्ति के संपर्क में न आए।

    - आरोपी की उचित काउंसलिंग की जाए ताकि उसे पता चल सकें कि वह क्यों जेल आया है।

    - वहीं आरोपी का पुर्नवास हो रहा है या नहीं,इसके लिए उसके मनोमितीय टेस्ट किए जाए।

    -जेल मैन्युअल व माॅडल प्रीजन मैन्युअल के अनुसार आरोपी को उसके परिजनों से संपर्क भी करने दिया जाए।

    खंडपीठ ने तिहाड़ जेल अधीक्षक को यह भी निर्देश दिया है कि आरोपी के रिहा होने तक हर साल उसकी बी-मन्युअल रिपोर्ट कोर्ट में दायर की जाए,जिसमें यह बताया जाए कि आरोपी के पुनर्वास के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए है।

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