जमानत बांड प्रस्तुत करने में असमर्थ विचाराधीन कैदियों की रिहाई में सहायता के लिए वकील नियुक्त करें: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों को निर्देश दिया

Amir Ahmad

17 Aug 2024 7:05 AM GMT

  • जमानत बांड प्रस्तुत करने में असमर्थ विचाराधीन कैदियों की रिहाई में सहायता के लिए वकील नियुक्त करें: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों को निर्देश दिया

    उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य के जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों (DLSA) को निर्देश दिया कि वे जमानत पर रिहा होने के लिए व्यक्तिगत बांड प्रस्तुत करने में असमर्थता के कारण जेल में बंद विचाराधीन कैदियों के लिए वकील नियुक्त करें।

    उल्लेखनीय है कि दिनांक 10.04.2024 के आदेश के तहत प्राधिकरण को निर्देश दिया गया कि वे उन विचाराधीन कैदियों की हिरासत के संबंध में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करें, जिन्हें जमानत बांड न भरने के कारण रिहा नहीं किया गया।

    जब यह पता चला कि 27 विचाराधीन कैदियों को जमानत पर रिहा नहीं किया जा सका, क्योंकि उन्होंने अपने जमानत बांड नहीं भरे थे तो विवरण प्रस्तुत करने पर चीफ जस्टिस रितु बाहरीर जस्टिस राकेश थपलियाल की पीठ ने हुसैनारा खातून और अन्य बनाम गृह सचिव, बिहार राज्य में पारित सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के आलोक में राज्य के जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों को आवश्यक निर्देश दिए।

    इसके अलावा उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा पारित आदेश का हवाला देते हुए, जिसके तहत सूचीबद्ध कानूनी सहायता वकीलों की फीस में लगभग तीन गुना वृद्धि की गई, इसलिए न्यायालय ने संकेत दिया कि DLSA ऐसे एडवोकेट द्वारा आवेदन करने पर, जिन्हें उपरोक्त उद्देश्य के लिए नियुक्त किया जा रहा है, तीन वर्ष का अनुभव रखने वाले वकीलों को कानूनी फीस की वही राशि (जो सूचीबद्ध अधिवक्ताओं को दी जाती है) प्रदान करेंगे।

    न्यायालय ने कहा कि यह भी उल्लेख किया गया है कि विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की धारा 29ए द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (कार्य संचालन एवं अन्य प्रावधान) विनियम, 2006 में दिनांक 12.06.2024 के आदेश द्वारा संशोधन करके विधिक सहायता परामर्शदाताओं की फीस में लगभग तीन गुना वृद्धि की है तथा कोई भी एडवोकेट जो पैनल में शामिल नहीं है लेकिन बार में 3 वर्ष से अधिक का अनुभव रखता है विचाराधीन कैदियों को निःशुल्क विधिक सेवाएं प्रदान करता है, ऐसे वकील को भी आवेदन करने पर मानदेय भुगतान हेतु अनुमोदित शुल्क अनुसूची का लाभ दिया जा सकता है।

    न्यायालय ने इस आदेश की एक प्रति श्री प्रदीप मणि त्रिपाठी, सदस्य सचिव, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को भी भेजने का निर्देश दिया, जिससे उक्त आदेश का अनुपालन किया जा सके तथा सभी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को संबंधित पत्र भेजे जा सकें।

    केस टाइटल- निरीक्षण रिपोर्ट पर विचार करने और जिला जेल में सुधार के मामले में स्वप्रेरणा जनहित याचिका बनाम प्रधान सचिव

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