उत्तराखंड हाईकोर्ट ने केंद्र को जॉइंट सेक्रेटरी के रूप में IFS संजीव चतुर्वेदी के पैनल में शामिल होने के संबंध में रिकॉर्ड उपलब्ध कराने का निर्देश दिया

Amir Ahmad

9 Sep 2024 5:20 AM GMT

  • उत्तराखंड हाईकोर्ट ने केंद्र को जॉइंट सेक्रेटरी के रूप में IFS संजीव चतुर्वेदी के पैनल में शामिल होने के संबंध में रिकॉर्ड उपलब्ध कराने का निर्देश दिया

    उत्तराखंड हाईकोर्ट ने केंद्र को संजीव चतुर्वेदी (IFS) को केंद्र में जॉइंट सेक्रेटरी के पद पर पैनल में शामिल करने की प्रक्रिया और निर्णय लेने से संबंधित रिकॉर्ड उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।

    यह विवाद 15.11.2022 को लिए गए निर्णय में कैबिनेट की नियुक्ति समिति (SCC) द्वारा चतुर्वेदी और अन्य अधिकारी की केंद्र में जॉइंट सेक्रेटरी या समकक्ष पद पर नियुक्ति को मंजूरी नहीं देने से संबंधित है।

    चतुर्वेदी ने निर्णय लेने की प्रक्रिया के रिकॉर्ड का विवरण मांगने के लिए केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) से संपर्क किया। हालांकि, CAT ने RTI Act की धारा 8(1)(आई) के तहत निर्णय लेने की प्रक्रिया की गोपनीयता पर रोक का हवाला देते हुए केंद्र को चतुर्वेदी को रिकॉर्ड उपलब्ध कराने का निर्देश देने से इनकार कर दिया।

    इसके बाद हाईकोर्ट के समक्ष रिट याचिका दायर की गई, जिसमें प्रार्थना की गई कि उनके रिकॉर्ड, जिन्हें उन्होंने RTI Act के तहत मांगा था, उन्हें उपलब्ध कराए जाने की आवश्यकता है।

    चतुर्वेदी की प्रार्थना को स्वीकार करते हुए ,जो व्यक्तिगत रूप से पेश हुए चीफ जस्टिस रितु बाहरी और जस्टिस आलोक कुमार वर्मा की पीठ ने निम्नलिखित आदेश दिया:

    “यह देखते हुए कि याचिकाकर्ता ने अपना रिकॉर्ड मांगा है, प्रतिवादियों को संयुक्त सचिव के स्तर पर याचिकाकर्ता के पैनल की प्रक्रिया और निर्णय लेने से संबंधित रिकॉर्ड देने का निर्देश दिया जा रहा है, जिन्होंने 15.11.2022 को निर्णय लिया।”

    न्यायालय ने स्पष्ट किया कि चतुर्वेदी के पैनल से संबंधित अभिलेख ही उन्हें उपलब्ध कराए जाएंगे।

    अपनी याचिका में चतुर्वेदी ने एम्स नई दिल्ली में मुख्य सतर्कता अधिकारी तथा अन्य भूमिकाओं जैसे विभिन्न पदों पर नियुक्त होने के दौरान उनके द्वारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डाला। साथ ही स्वास्थ्य मंत्रालय से उन्हें मिली मान्यता तथा हरियाणा में उनके कार्यकाल के दौरान उनके पक्ष में पारित किए गए चार राष्ट्रपति आदेशों पर भी प्रकाश डाला।

    याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि कैबिनेट द्वारा अधिकारी के पैनल से संबंधित निर्णय को निर्णय लिए जाने के बाद सार्वजनिक किया जाना चाहिए। RTI Act की धारा 8(1)(i) के आधार पर मामला पूर्ण तथा समाप्त हो चुका है।

    अधिकारी के पैनल से संबंधित निर्णय लेने की प्रक्रिया के अभिलेख पीड़ित अधिकारी को उपलब्ध कराने का न्यायालय का यह निर्देश अपनी तरह का पहला निर्देश है, जो नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

    केस टाइटल- संजीव चतुर्वेदी बनाम भारत संघ

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