'न्याय से वंचित किया गया, ब्रेल में दस्तावेज़ नहीं दिए गए': हाईकोर्ट ने बलात्कार के नेत्रहीन आरोपी की सजा रद्द कर फिर से ट्रायल का दिया आदेश

Amir Ahmad

26 Jun 2025 3:52 PM IST

  • न्याय से वंचित किया गया, ब्रेल में दस्तावेज़ नहीं दिए गए: हाईकोर्ट ने बलात्कार के नेत्रहीन आरोपी की सजा रद्द कर फिर से ट्रायल का दिया आदेश

    उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में बलात्कार के मामले में 20 साल की सजा पाए नेत्रहीन म्युजिक टीचर की सजा रद्द करते हुए दोबारा मुकदमे (रिट्रायल) का आदेश दिया है। अदालत ने पाया कि आरोपी को मुकदमे के दौरान ब्रेल लिपि में दस्तावेज़ उपलब्ध नहीं कराए गए, जिससे उसे निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार नहीं मिल सका।

    जस्टिस जी. नरेंदर और जस्टिस आलोक महरा की खंडपीठ ने कहा,

    “ब्रेल लिपि में दस्तावेज़ उपलब्ध न कराना, जो कि आरोपी की पढ़ने की क्षमता वाली भाषा है, न्याय की प्रक्रिया को प्रभावित करता है और इससे मुकदमा अनुचित हो गया।”

    अदालत की अहम टिप्पणी

    खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि राज्य द्वारा आरोपी को उसके अनुकूल प्रारूप (ब्रेल) में दस्तावेज़ न देना, न केवल निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार का हनन है बल्कि न्याय तक उसकी पहुंच को भी बाधित करता है।

    इसके साथ ही कोर्ट ने दोषसिद्धि रद्द कर मामले को ट्रायल कोर्ट को दोबारा सुनवाई के लिए भेज दिया, यह निर्देश देते हुए कि दृष्टिबाधित अधिकार अधिनियम, 2016 की धारा 12 के अनुसार आवश्यक दस्तावेज़ उसे उपलब्ध कराए जाएं।

    संक्षेप में मामला

    यह मामला 2018 का है, जब आरोपी सुचित नरंग, जो कि दृष्टिबाधित बच्चों के लिए चलाए जा रहे स्कूल में म्युजिक टीचर था, पर कई स्टूडेंट्स के साथ यौन शोषण का आरोप लगा था।

    इसमें एक 16 वर्षीय नेत्रहीन स्टूडेंट की शिकायत पर बाल कल्याण समिति (CWC) ने FIR दर्ज करवाई। आरोपी पर IPC की धारा 376, 354-A तथा POCSO Act की धारा 3/4, 9/10, 16/17/21 के तहत आरोप लगाए गए।

    जनवरी, 2024 में ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को दोषी ठहराकर 20 वर्ष की सजा सुनाई थी।

    हाईकोर्ट में अपील और राज्य की स्वीकारोक्ति

    आरोपी ने अपने दोषसिद्धि को हाईकोर्ट में चुनौती दी। राज्य की ओर से डिप्टी एडवोकेट जनरल ने माना कि अभियोजन पक्ष द्वारा आरोपी को ब्रेल में दस्तावेज़ नहीं दिए गए और केवल देवनागरी लिपि में दस्तावेज़ उपलब्ध कराए गए।

    इस पर कोर्ट ने कहा,

    “अगर आरोपी को ऐसे दस्तावेज़ दिए जाएं, जिन्हें वह पढ़ ही नहीं सकता तो वह अपने वकील की उचित सहायता नहीं कर पाएगा। साथ ही ऐसे में आरोपी CrPC की धारा 313 के तहत पूछे गए सवालों का सही जवाब देने की स्थिति में भी नहीं होगा।”

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    https://www.livelaw.in/high-court/uttarakhand-high-court/uttarakhand-high-court-stays-panchayat-polls-rotation-reservation-rules-row-295712अदालत ने आरोपी की दोषसिद्धि रद्द करते हुए कहा कि यह मामला निष्पक्ष सुनवाई के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन है और इसे किसी भी सूरत में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

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