बर्खास्तगी आदेश रद्द करने पर स्वतः बहाली की याचिका मान्य नहीं: त्रिपुरा हाइकोर्ट

Amir Ahmad

24 April 2024 4:30 PM IST

  • बर्खास्तगी आदेश रद्द करने पर स्वतः बहाली की याचिका मान्य नहीं: त्रिपुरा हाइकोर्ट

    त्रिपुरा हाइकोर्ट की जस्टिस अपरेश कुमार सिंह और जस्टिस एस.डी. पुरकायस्थ की खंडपीठ ने राजेश दास बनाम सोसाइटी फॉर त्रिपुरा मेडिकल कॉलेज एंड ऑर्स के मामले में रिट अपील पर निर्णय लेते हुए कहा कि बर्खास्तगी आदेश रद्द करने पर स्वतः बहाली की याचिका मान्य नहीं।

    मामले की पृष्ठभूमि

    सोसाइटी फॉर त्रिपुरा मेडिकल कॉलेज (प्रतिवादी) ने याचिकाकर्ता के सोशल मीडिया अकाउंट के माध्यम से प्रतिवादी की आलोचना करने और प्रतिवादी के सामान्य कामकाज में बाधा डालने के लिए राजेश दास (याचिकाकर्ता) के खिलाफ आरोप तय किए। यह भी आरोप लगाया गया कि याचिकाकर्ता ने कई बार बिना अनुमति के काम के घंटों के दौरान अपने कार्यस्थल को छोड़ दिया और इस तरह अनुशासनहीन व्यवहार किया।

    याचिकाकर्ता के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई, जिसके बाद याचिकाकर्ता की सेवाएं समाप्त कर दी गईं। त्रिपुरा हाइकोर्ट के सिंगल जज ने सेवा समाप्ति का आदेश रद्द कर दिया और प्रतिवादी को साक्ष्य के चरण से फिर से कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया।

    इस बात से व्यथित होकर कि सिंगल जज के आदेश में बहाली के लिए निर्देश शामिल नहीं था, जबकि साक्ष्य के चरण से नई विभागीय जांच लंबित रहेगी याचिकाकर्ता ने रिट अपील दायर की।

    याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि जांच अधिकारी ने अनुशासनात्मक कार्यवाही में आपत्तिजनक पोस्ट को साक्ष्य के रूप में उचित रूप से पेश किए बिना उसे दोषी ठहराने की कार्यवाही की। इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि प्रतिवादी के प्रबंधन की आलोचना करने के लिए उसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है।

    दूसरी ओर प्रतिवादी ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता को अपना बचाव बयान प्रस्तुत करने का उचित अवसर देने के बाद जांच उचित तरीके से की गई।

    अदालत के निष्कर्ष

    अदालत ने पाया कि सिंगल जज ने इस आधार पर बर्खास्तगी आदेश को रद्द कर दिया कि जांच अधिकारी के निष्कर्ष प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं। प्रस्तुतकर्ता अधिकारी ने याचिकाकर्ता द्वारा कथित रूप से पोस्ट किए गए आपत्तिजनक सोशल मीडिया पोस्ट के साक्ष्य प्रस्तुत करके आरोपों को स्थापित नहीं किया। इसलिए, याचिकाकर्ता पर लगाया गया जुर्माना केवल उसके बचाव बयान के आधार पर था।

    अदालत ने आगे कहा कि बर्खास्तगी आदेश रद्द करने पर स्वचालित बहाली की दलील मान्य नहीं है। अदालत ने भारत संघ बनाम वाईएस साधु, पूर्व निरीक्षक, अध्यक्ष, भारतीय जीवन बीमा निगम और अन्य बनाम ए. मसीलामणि और उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य बनाम के निर्णयों पर भरोसा किया। राजित सिंह के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक बार न्यायालय द्वारा इस आधार पर सजा के आदेश को रद्द कर दिया जाता है कि जांच ठीक से नहीं की गई थी तो न्यायालय कर्मचारी को बहाल नहीं कर सकता और मामले को अनुशासनात्मक प्राधिकारी को जांच के लिए वापस भेज देना चाहिए जहां से यह दोषपूर्ण था।

    उपर्युक्त टिप्पणियों के साथ सिविल रिट अपील खारिज कर दी गई।

    केस टाइटल - राजेश दास बनाम सोसाइटी फॉर त्रिपुरा मेडिकल कॉलेज एवं अन्य

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