इंटरनेट शटडाउन पर पुनर्विचार कमेटी के आदेश प्रकाशित करेंगे: जम्मू-कश्मीर यूटी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया

Shahadat

23 Feb 2024 12:42 PM GMT

  • इंटरनेट शटडाउन पर पुनर्विचार कमेटी के आदेश प्रकाशित करेंगे: जम्मू-कश्मीर यूटी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया

    केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर ने शुक्रवार (23 फरवरी) को आंतरिक विचार-विमर्श को छोड़कर क्षेत्र में इंटरनेट शटडाउन के संबंध में पुनर्विचार कमेटी (Review Committees) द्वारा पारित आदेशों को प्रकाशित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सहमति व्यक्त की।

    यूटी का रुख दर्ज करते हुए कोर्ट ने स्पष्ट किया कि समिति के आंतरिक विचार-विमर्श को प्रकाशित करने की आवश्यकता नहीं है। दूरसंचार सेवाओं के अस्थायी निलंबन (सार्वजनिक आपातकाल या सार्वजनिक सुरक्षा) नियम, 2017 के नियम 5 के संदर्भ में गठित समीक्षा समिति सक्षम प्राधिकारी द्वारा पारित इंटरनेट शटडाउन आदेशों पर पुनर्विचार करती है।

    जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रोफेशनल्स द्वारा दायर आवेदन पर सुनवाई कर रही थी।

    याचिकाकर्ता/फाउंडेशन की ओर से पेश हुए वकील शादान फरासत ने कहा कि जम्मू-कश्मीर एकमात्र ऐसा क्षेत्र है, जहां समिति का पुनर्विचार आदेश प्रकाशित नहीं किए गए, जबकि अन्य सभी राज्यों ने इसे प्रकाशित किया है, जिसमें अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, पंजाब (जम्मू-कश्मीर जैसे सीमावर्ती राज्य) राज्य भी शामिल हैं।

    "राज्य स्वयं पुनर्विचार आदेश प्रकाशित कर रहे हैं, मुझे नहीं पता कि जम्मू-कश्मीर क्यों प्रकाशित नहीं कर रहा है, मुझे आश्चर्य है कि केवल जम्मू-कश्मीर ही विरोध कर रहा है।"

    एसजी ने तब उत्तर दिया,

    "मुझे आश्चर्य है कि आप केवल जम्मू-कश्मीर के आदेश चाहते हैं, लेकिन मुझे खेद है। मुझे आश्चर्य नहीं है कि आप जम्मू-कश्मीर के आदेश चाहते हैं।"

    एसजी ने आगे कहा कि वर्तमान मामले में राजनीतिक पहलू शामिल हैं और समिति के पुनर्विचार आदेशों को प्रकाशित नहीं करने का निर्णय वहां की कानून और व्यवस्था की स्थिति के मद्देनजर "आंतरिक सिस्टम" का हिस्सा है। एसजी ने कहा कि मूल इंटरनेट शटडाउन आदेश प्रकाशित हैं, जिसे कोई भी पीड़ित पक्ष चुनौती दे सकता है और पुनर्विचार आदेशों को प्रकाशित करना आवश्यक नहीं है।

    हालांकि, फरासत ने कहा कि अनुराधा भसीन फैसले के निर्देश के अनुसार, पुनर्विचार समिति के आदेशों को भी प्रकाशित किया जाना चाहिए, क्योंकि निर्देश "सभी मौजूदा आदेशों और भविष्य के किसी भी आदेश को प्रकाशित करना" है।

    केस टाइटल- फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रोफेशनल्स बनाम केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर एवं अन्य। | विविध आवेदन नंबर 1086/2020

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