West Bengal SSC Recruitment Caseपश्चिम बंगाल एसएससी भर्ती मामला: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या बेदाग नियुक्तियों को अलग किया जा सकता है, सरकारी अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई जांच पर रोक लगाई

LiveLaw News Network

29 April 2024 12:36 PM GMT

  • West Bengal SSC Recruitment Caseपश्चिम बंगाल एसएससी भर्ती मामला: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या बेदाग नियुक्तियों को अलग किया जा सकता है, सरकारी अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई जांच पर रोक लगाई

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (29 अप्रैल) को पूछा कि क्या पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबी एसएससी) द्वारा 2016 में शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों पर की गई 25,000 से अधिक नियुक्तियों में से बेदाग नियुक्तियों को अलग करना संभव है, जिसे कलकत्ता हाईकोर्ट ने धोखाधड़ी के आधार पर पूरी तरह से रद्द करने का निर्देश दिया है।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ पश्चिम बंगाल राज्य, एसएससी और कुछ प्रभावित कर्मचारियों द्वारा कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा 22 अप्रैल को दिए गए फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

    याचिकाओं पर आगे की सुनवाई के लिए अगले सोमवार की तारीख तय करते हुए पीठ ने वर्तमान समय में नियुक्तियों को रद्द करने के हाईकोर्ट के निर्देश पर रोक लगाने की याचिकाकर्ताओं की प्रार्थना को यह इंगित करते हुए कि नामंज़ूर कर दिया कि मामले पर अगले सप्ताह विचार किया जाना है। हालांकि, पीठ ने राज्य सरकार द्वारा अवैध नियुक्तियों को समायोजित करने के लिए अतिरिक्त पदों को मंज़ूरी देने में शामिल व्यक्तियों के संबंध में आगे की जांच करने और यदि आवश्यक हो तो ऐसे व्यक्तियों को हिरासत में लेकर पूछताछ करने के लिए सीबीआई को दिए गए हाईकोर्ट के निर्देश पर रोक लगा दी।

    सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा,

    "देखिए यह कैसे किया गया...ओएमआर शीट पूरी तरह नष्ट कर दी गई, मिरर इमेज नहीं थीं, पैनल में शामिल ना होने वाले लोगों की भर्ती की गई...यह पूरी तरह से धोखाधड़ी है।"

    सीनियर एडवोकेट राकेश द्विवेदी ने हाईकोर्ट के उस निर्णय पर सवाल उठाया जिसमें उसने पूरी नियुक्तियों को रद्द कर दिया, जबकि सीबीआई ने केवल 8000 नामों में अनियमितताएं पाई हैं। स्कूल सेवा आयोग की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट जयदीप गुप्ता ने भी तर्क दिया कि हाईकोर्ट ने पूरी नियुक्तियों को रद्द करके गलती की है, जबकि बेदाग नियुक्तियों को अलग किया जा सकता था। सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे, मुकुल रोहतगी आदि ने भी इसी तरह के तर्क दिए। यह भी तर्क दिया गया कि किसी कर्मचारी को, जिसे किसी पद पर मूल रूप से नियुक्त किया गया है, सेवा नियमों के अनुसार जांच प्रक्रिया के बाद ही बर्खास्त किया जा सकता है और हाईकोर्ट द्वारा पूरी तरह से बर्खास्त करने का आदेश प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के साथ-साथ संविधान के अनुच्छेद 311 का उल्लंघन है।

    सीजेआई ने पूछा कि क्या यह संभव है कि ओएमआर शीट नष्ट हो जाने के बाद भी बेदाग नियुक्तियों को अलग किया जा सके। रोहतगी ने जवाब दिया कि माध्यमिक सामग्री उपलब्ध है।

    सीजेआई ने टिप्पणी की,

    "आप सभी के लिए सवाल यह प्रदर्शित करना है कि उपलब्ध सामग्री के आधार पर वैध और अवैध नियुक्तियों को अलग करना कहां तक संभव है और धोखाधड़ी के लाभार्थी कौन हैं। 25000 एक बड़ी संख्या है। हम देखते हैं कि 25,0000 नौकरियां छीन ली जाना एक गंभीर बात है। जब तक हम यह नहीं देखते कि पूरी बात धोखाधड़ी से भरी हुई है.।"

    22 अप्रैल को कलकत्ता हाईकोर्ट ने सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में इन नौकरियों को अमान्य कर दिया था। कुख्यात कैश-फॉर-जॉब भर्ती घोटाले के कारण ये नौकरियां जांच के दायरे में आई थीं।

    राज्य ने तर्क दिया है कि हाईकोर्ट ने वैध नियुक्तियों को अवैध नियुक्तियों से अलग करने के बजाय, गलती से 2016 की चयन प्रक्रिया को पूरी तरह से रद्द कर दिया है। यह भी कहा गया है कि इससे राज्य में लगभग 25,000 शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारी प्रभावित होंगे। यह भी दलील दी गई है कि हाईकोर्ट ने हलफनामों के समर्थन के बिना केवल मौखिक तर्कों पर भरोसा किया। इसके अलावा, यह तर्क दिया गया है कि हाईकोर्ट ने इस तथ्य की पूरी तरह से अनदेखी की है कि जब तक नई चयन प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक राज्य के स्कूलों में बहुत बड़ा शून्य पैदा हो जाएगा। राज्य ने इस बात पर जोर दिया है कि इससे छात्रों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि नया शैक्षणिक सत्र नजदीक आ रहा है। राज्य ने इस आधार पर भी विवादित आदेश की आलोचना की है कि इसमें एसएससी को स्कूलों में कम कर्मचारियों के मुद्दे को स्वीकार किए बिना आगामी चुनाव परिणामों के दो सप्ताह के भीतर घोषित रिक्तियों के लिए एक नई चयन प्रक्रिया आयोजित करने का आदेश दिया गया है।

    आपेक्षित आदेश का संक्षिप्त विवरण

    280 से अधिक पृष्ठों के विस्तृत आदेश में, जस्टिस देबांगसु बसाक और जस्टिस शब्बर रशीदी की डिवीजन बेंच ने ओएमआर शीट में अनियमितता पाए जाने पर 2016 एसएससी भर्ती के पूरे पैनल को रद्द कर दिया और राज्य को इसके लिए नए सिरे से परीक्षा आयोजित करने का आदेश दिया।

    इतना ही नहीं, न्यायालय ने उन कर्मियों को भी निर्देश दिया, जिन्हें धोखाधड़ी से नियुक्त किया गया था, कि वे अपना वेतन वापस करें।

    न्यायालय ने पाया कि 2016 की भर्ती प्रक्रिया से शुरू होने वाली भर्ती का पूरा पैनल ओएमआर शीट में अनियमितता के कारण दागदार हो गया था, जिनमें से कई खाली पाए गए थे, और कहा कि उन्हें रद्द किया जाना चाहिए।

    न्यायालय ने यह भी पाया कि जिन लोगों की नियुक्ति को चुनौती दी गई थी, उनमें से कई को 2016 की भर्ती के लिए पैनल की अवधि समाप्त होने के बाद खाली ओएमआर शीट जमा करके नियुक्त किया गया था।

    उपरोक्त प्रक्षेपण के मद्देनज़र, न्यायालय ने धोखाधड़ी करने वालों की जांच करने का भी निर्देश दिया था और संपूर्ण 2016 एसएससी भर्ती पैनल को रद्द करके निपटारा किया था।

    केस: पश्चिम बंगाल राज्य बनाम बैशाखी भट्टाचार्य (चटर्जी) एसएलपी (सी) संख्या 009586 / 2024

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