पूरे देश के लिए बिल्डर-खरीदार के बीच समान मॉडल समझौता जरूरी; धोखाधड़ी करने वाले बिल्डरों पर लगाम लगेगी : सुप्रीम कोर्ट

Shahadat

8 July 2024 1:32 PM GMT

  • पूरे देश के लिए बिल्डर-खरीदार के बीच समान मॉडल समझौता जरूरी; धोखाधड़ी करने वाले बिल्डरों पर लगाम लगेगी : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने धोखाधड़ी करने वाले बिल्डरों पर लगाम लगाने के लिए एक समान मॉडल 'बिल्डर-खरीदार समझौते' की जरूरत बताई।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) ने देश के सभी राज्यों में 'प्रथम दृष्टया' एक समान मॉडल समझौते की जरूरत पर जोर दिया।

    उन्होंने कहा,

    "प्रथम दृष्टया हमें इन समझौतों को रिकॉर्ड में लेना चाहिए और कहना चाहिए कि राज्यों को इन्हें लागू करना होगा, क्योंकि इसमें कुछ एकरूपता होनी चाहिए।"

    मामले की गंभीरता को इंगित करते हुए सीजेआई ने टिप्पणी की कि किसी भी समान समझौते के अभाव में बिल्डर खरीदारों को धोखा देना जारी रखते हैं। ऐसे मॉडल समझौतों की मौजूदगी बिल्डरों द्वारा अनिश्चितकालीन शोषण पर कुछ हद तक लगाम लगाएगी।

    उन्होंने कहा,

    "यह (मॉडल समझौता) पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण है, अन्यथा, पूरे देश में बिल्डरों द्वारा खरीदारों को धोखा दिया जा रहा है। अब अगर हमारे पास मॉडल समझौता है तो कम से कम कुछ गारंटी होगी। बिल्डरों द्वारा खरीदारों पर लगाए जाने वाले शुल्क में कुछ एकरूपता होगी।"

    सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ याचिका पर सुनवाई कर रही थी। उक्त याचिका में केंद्र सरकार को मानकीकृत 'मॉडल बिल्डर क्रेता समझौता' और 'मॉडल एजेंट क्रेता समझौता' स्थापित करने का निर्देश देने की मांग की गई।

    याचिकाकर्ता का तर्क है कि इस तरह के समझौते पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने और रियल एस्टेट लेनदेन में देरी को कम करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। ऐसा करने का उद्देश्य रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 (रेरा) और अनुच्छेद 14, 15 और 21 के तहत ग्राहकों के अधिकारों और हितों की रक्षा करना है।

    न्यायालय में एमिक्स क्यूरी के रूप में सहायता कर रहे सीनियर एडवोकेट देवाशीष भारुका ने पीठ को बताया कि सभी हितधारकों और राज्य सरकारों के साथ परामर्श के बाद विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट तैयार की गई। रिपोर्ट के अनुसार, 12 राज्य सरकारों ने क्रेडाई, पश्चिम बंगाल के साथ अपने जवाब दाखिल किए। इन राज्यों में शामिल हैं- कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, झारखंड, आंध्र प्रदेश, गोवा, पश्चिम बंगाल, केरल, गुजरात।

    रिपोर्ट में बिल्डर-खरीदार समझौते के अंतिम 'भाग ए क्लॉज' को रिकॉर्ड में रखा गया।

    उल्लेखनीय है कि भाग ए क्लॉज RERA के अनुरूप सामान्य समझौते की शर्तें हैं। भाग बी राज्य-विशिष्ट शर्तें और कानून हैं, जैसे महाराष्ट्र का स्लम पुनर्वास प्राधिकरण आदि।

    वकील ने पीठ को यह भी बताया कि संविधान के अनुच्छेद 371A द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के कारण नागालैंड राज्य को मॉडल समझौते के आवेदन के बारे में कुछ आपत्तियां हो सकती हैं। अनुच्छेद 371A (1)(a)(iv) में कहा गया कि भूमि और उसके संसाधनों के स्वामित्व और हस्तांतरण से संबंधित संसद का कोई भी अधिनियम नागालैंड राज्य पर लागू नहीं होगा।

    "नागालैंड की ओर से कहा गया कि अनुच्छेद 371A के कारण RERA बिल्कुल भी लागू नहीं होगा"

    हालांकि, सीजेआई ने कहा कि नागालैंड के लिए अपवाद बनाया जा सकता है, लेकिन किसी भी स्थिति में देश के बाकी हिस्सों के लिए मॉडल समझौते का क्रिस्टलीकरण नहीं रुकना चाहिए।

    पीठ को एमिक्स क्यूरी ने यह भी बताया कि वह नागालैंड सरकार के संपर्क में है और जल्द ही समाधान निकल आएगा।

    उन्होंने कहा,

    "आप नागालैंड के लिए आगे क्या रास्ता है, इस पर भी निर्देश लें। हम नागालैंड के लिए अपवाद बना सकते हैं, बस इतना ही।"

    इस मामले की सुनवाई अब अगले शुक्रवार को होगी।

    केस टाइटल : अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम यूनियन ऑफ इंडिया डायरी नंबर - 22396/2020

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