क्या बार काउंसिल्स नामांकन शुल्क परिसीमा पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन कर रही हैं? सुप्रीम कोर्ट ने BCI से मांगा जवाब
Amir Ahmad
17 July 2025 8:16 AM

सुप्रीम कोर्ट ने 15 जुलाई को आदेश पारित करते हुए बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) के चेयरमैन और सीनियर एडवोकेट मनन मिश्रा को अदालत में उपस्थित होने को कहा ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि 30 जुलाई, 2024 के फैसले में राज्य बार काउंसिल्स को नामांकन शुल्क के नाम पर अत्यधिक राशि वसूलने से रोकने के जो निर्देश दिए गए थे उनका पालन हुआ है या नहीं।
गौरव कुमार बनाम भारत संघ इस निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बार काउंसिल्स एडवोकेट्स एक्ट 1961 की धारा 24 के तहत निर्धारित फीस से अधिक शुल्क नहीं ले सकतीं। यानी, सामान्य वर्ग के वकीलों से अधिकतम 750 और अनुसूचित जाति/जनजाति के वकीलों से अधिकतम 125 से अधिक नामांकन शुल्क नहीं लिया जा सकता।
अवमानना याचिका:
यह सुनवाई याचिकाकर्ता के. एल. जे. ए. किरण बाबू द्वारा दायर अवमानना याचिका (Contempt Petition) पर हो रही थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि बार काउंसिल्स ने इस फैसले का पालन नहीं किया, इसलिए वे अदालत की अवमानना कर रही हैं।
जस्टिस जे. बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की खंडपीठ के समक्ष याचिकाकर्ता ने स्वयं पेश होकर कहा कि वह यह याचिका "जनहित" में दायर कर रहे हैं और कोई भी नागरिक अवमानना की याचिका दाखिल कर सकता है।
कोर्ट का आदेश:
अदालत ने याचिका पर फिलहाल कोई नोटिस जारी नहीं किया, लेकिन BCI चेयरमैन मनन मिश्रा को 8 अगस्त को अदालत में पेश होकर यह बताने के लिए कहा कि क्या फैसले के पैरा 109 में दिए गए निर्देशों का पालन किया गया या नहीं।
फैसले के पैरा 109 के मुख्य बिंदु:
a. राज्य बार काउंसिल्स (SBCs) धारा 24(1)(f) में स्पष्ट रूप से निर्धारित नामांकन शुल्क से अधिक शुल्क नहीं ले सकतीं।
b. नामांकन की शर्तों के तहत केवल वैधानिक नामांकन शुल्क और आवश्यक स्टांप शुल्क लिया जा सकता है कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं।
c. निर्धारित सीमा से अधिक शुल्क वसूलना संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 19(1)(g) (व्यवसाय की स्वतंत्रता) का उल्लंघन है।
d. यह निर्णय भावी प्रभाव (Prospective Effect) से लागू होगा; यानी 30 जुलाई 2024 से पहले जो अतिरिक्त शुल्क वसूला गया है, उसे वापस नहीं किया जाएगा।
BCI की प्रतिक्रिया:
गौरतलब है कि जनवरी, 2025 में BCI ने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दायर कर नामांकन शुल्क 25,000 करने की अनुमति मांगी थी।
केस टाइटल: के. एल. जे. ए. किरण बाबू बनाम कर्नाटक राज्य बार काउंसिल प्रतिनिधि: रमेश एस. नाइक