सुप्रीम कोर्ट ने नौकरशाहों और जजों की फोन टैपिंग के आरोपी तेलंगाना पुलिस अधिकारी को जमानत दी

Amir Ahmad

27 Jan 2025 8:18 AM

  • सुप्रीम कोर्ट ने नौकरशाहों और जजों की फोन टैपिंग के आरोपी तेलंगाना पुलिस अधिकारी को जमानत दी

    सुप्रीम कोर्ट ने नौकरशाहों और हाईकोर्ट के जजों की फोन टैपिंग के आरोपी निलंबित पुलिस अधिकारी मेकला थिरुपथन्ना को 10 महीने की कैद के बाद जमानत दी।

    जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने जमानत देते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट उचित जमानत शर्तें तय कर सकता है। जमानत की शर्तों का उल्लंघन करने पर जमानत रद्द हो सकती है।

    पिछले अक्टूबर में उन्हें जमानत देने से इनकार करने वाले तेलंगाना हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ SLP दायर की गई थी।

    पिछले साल तेलंगाना हाईकोर्ट ने BRS सरकार के शासनकाल के दौरान किए गए अवैध फोन टैपिंग ऑपरेशन में स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्यवाही शुरू की थी। उन्होंने यह कहते हुए मामले को उठाया था कि यह मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है, न कि केवल निजता के अधिकार का उल्लंघन।

    शुरुआत में तेलंगाना राज्य की ओर से सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा ने ज़मानत याचिका का पुरज़ोर विरोध किया।

    उन्होंने तर्क दिया कि इस समय निलंबित अधिकारी को रिहा करने से मुकदमे पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि कुछ महत्वपूर्ण गवाहों की जाँच होनी बाकी है।

    मेकला की ओर से सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ दवे ने कहा कि आरोपपत्र भी पहले ही दाखिल किया जा चुका है और अगर याचिकाकर्ता को जेल में रखा जाता है तो धारा 167 का उद्देश्य विफल हो जाएगा।

    लूथरा ने तर्क दिया कि हालाँकि आरोपपत्र दाखिल किया जा चुका है, लेकिन आगे की जाँच के लिए हिरासत की आवश्यकता है, क्योंकि मामले में एकत्र किए गए डेटा शामिल हैं।

    उन्होंने कहा कि Google से डेटा मांगा गया, क्योंकि याचिकाकर्ता और इसमें शामिल अन्य अधिकारियों ने इसे नष्ट कर दिया।

    लूथरा ने विशेष रूप से प्रार्थना की कि 3 महीने का समय दिया जाए ताकि कम से कम वर्तमान याचिकाकर्ता के संदर्भ में आगे की जाँच पूरी हो सके और उस समय में 4 महत्वपूर्ण गवाहों की जाँच की जा सके।

    जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ याचिकाकर्ता को लगातार हिरासत में रखने के पक्ष में नहीं थी।

    जस्टिस शर्मा ने सवाल किया कि राज्य एक साल से क्या कर रहा है।

    उन्होंने कहा,

    "उन्होंने 59 साल तक आपके लिए काम किया। उनके खिलाफ एक भी आरोप नहीं है। उन्हें जेल में रखने का क्या उद्देश्य है?"

    लूथरा ने जोर देकर कहा कि इस आदेश का लाभ अन्य सह-अभियुक्तों को नहीं मिलना चाहिए और उन्होंने न्यायालय से अनुरोध किया कि इसे आदेश में जोड़ा जाए लेकिन न्यायालय ने ऐसा नहीं किया।

    हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस आलोक आराधे और जस्टिस विनोद कुमार की विशेष पीठ ने डेक्कन क्रॉनिकल में प्रकाशित एक नए लेख के बाद मामले की सुनवाई की, जिसमें दावा किया गया था कि प्रतिद्वंद्वी राजनेताओं के अलावा हाईकोर्ट के जज भी फोन टैपिंग घोटाले का लक्ष्य बन गए हैं।

    यह मुद्दा दिसंबर 2023 में सामने आया, जब कांग्रेस ने चुनाव जीता और तेलंगाना राज्य में सत्ता में आई।

    केस टाइटल: मेकला थिरुपथन्ना बनाम तेलंगाना राज्य, एसएलपी (सीआरएल) संख्या 14658/2024

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