सुप्रीम कोर्ट ने न्यूनतम प्रैक्टिस शर्त के बिना गुजरात में न्यायिक मजिस्ट्रेट की भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई

Amir Ahmad

4 March 2025 6:35 AM

  • सुप्रीम कोर्ट ने न्यूनतम प्रैक्टिस शर्त के बिना गुजरात में न्यायिक मजिस्ट्रेट की भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई

    सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात में प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट (JMFC) की भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई। कोर्ट ने गुजरात हाई कोर्ट द्वारा वकील के तौर पर न्यूनतम वर्षों की प्रैक्टिस की शर्त के बिना भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की अनुमति देने पर असंतोष व्यक्त किया।

    गुजरात लोक सेवा आयोग द्वारा जारी विज्ञापन में यह निर्धारित नहीं किया गया कि उम्मीदवार के पास वकील के तौर पर न्यूनतम वर्षों की प्रैक्टिस की कोई योग्यता होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसने इस मुद्दे पर फैसला सुरक्षित रखा कि क्या नए लोगों को न्यायिक सेवा में प्रवेश स्तर के पदों के लिए आवेदन करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

    जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने कहा कि ऐसा होने पर जब सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर विचार कर रहा है तो हाईकोर्ट को भर्ती की अनुमति नहीं देनी चाहिए।

    सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में इस प्रकार टिप्पणी की,

    "यह प्रश्न कि क्या JMFC सिविल जज, सीनियर डिवीजन के पद के लिए आवेदन करने के लिए उम्मीदवार को सक्षम करने के लिए न्यूनतम योग्यता के रूप में कुछ वर्ष निर्धारित किए जाने चाहिए, इस न्यायालय की तीन जजों की पीठ के समक्ष लंबित है। तीन जजों की पीठ ने मामले की विस्तृत सुनवाई की। न्यायालय द्वारा सभी राज्य सरकारों के साथ-साथ हाईकोर्ट की दलीलें सुनी गईं और मामले को निर्णय के लिए सुरक्षित रखा गया। जब न्यायालय इस मुद्दे पर विचार कर रहा है तो हम चयन प्रक्रिया में जल्दबाजी करने की आवश्यकता को नहीं समझते हैं, क्योंकि निर्णय के परिणाम का न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, सिविल जज, जूनियर डिवीजन के लिए निर्धारित योग्यता पर सीधा असर हो सकता है। इसलिए हम गुजरात हाईकोर्ट के साथ-साथ गुजरात राज्य को नोटिस जारी करते हैं। इसके अलावा JMFC के पद पर भर्ती के लिए हाईकोर्ट द्वारा शुरू की गई सभी कार्यवाही पर रोक लगाते हैं।"

    राज्य को नोटिस मुख्य सचिव के माध्यम से और हाईकोर्ट को नोटिस रजिस्ट्रार जनरल, गुजरात हाईकोर्ट के माध्यम से जारी किया जाता है। न्यायालय इस मामले की सुनवाई 18 मार्च को करेगा।

    न्यायालय ने वर्तमान IA दायर करने वाले एडवोकेट रोहिन भट को भी हाईकोर्ट के समक्ष कार्यवाही में भाग लेने के लिए वापस लेने की अनुमति दी।

    केस टाइटल: अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ बनाम भारत संघ | डब्ल्यू.पी.(सी) संख्या 1022/1989

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