सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम बापू पर डॉक्यूमेंट्री बना रहे डिस्कवरी चैनल के अधिकारियों को मिली धमकियों के खिलाफ अंतरिम सुरक्षा प्रदान की
Amir Ahmad
6 Feb 2025 7:49 AM

सुप्रीम कोर्ट ने डिस्कवरी कम्युनिकेशंस इंडिया के अधिकारियों और संपत्ति को स्वयंभू बाबा आसाराम बापू पर डॉक्यूमेंट्री के संबंध में प्रसारण चैनल को मिल रही धमकियों के खिलाफ अंतरिम पुलिस सुरक्षा प्रदान की।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ डिस्कवरी इंडिया के शीर्ष अधिकारियों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया कि 'कल्ट ऑफ फियर- आसाराम बापू' नामक शो के रिलीज होने के बाद ब्रॉडकास्टर्स के सोशल मीडिया अकाउंट पर डिस्कवरी और इससे जुड़े लोगों के खिलाफ कई नफरत भरी टिप्पणियां प्राप्त हुईं।
याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले सीनियर एडवोकेट अभिनव मुखर्जी ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के लिए देश भर में स्वतंत्र रूप से यात्रा करना कठिन होता जा रहा है।
मुखर्जी ने तर्क दिया:
"पुलिस ने कुछ नहीं किया हम घर चले गए और कर्मचारियों से काम पर न आने को कहा। हमें अब एक पत्र भी मिला है, जिसमें हमें बड़े पैमाने पर आंदोलन की धमकी दी गई। 2018 में एक दिशानिर्देश है, जिसे माननीय जजों ने निर्धारित किया।"
खंडपीठ ने अपने आदेश में निर्देश दिया:
"3 मार्च 2025 से शुरू होने वाले सप्ताह में नोटिस वापस किया जाना चाहिए। इस बीच हम पुलिस अधिकारियों से अनुरोध करते हैं कि वे सुनिश्चित करें कि याचिकाकर्ता को कार्यालय का उपयोग करने दिया जाए और याचिकाकर्ताओं को शारीरिक नुकसान पहुंचाने की कोई धमकी न दी जाए।"
यह याचिका संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर की गई, जिसमें केंद्र सरकार (MHA के माध्यम से), कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, हरियाणा, तेलंगाना और उनके संबंधित पुलिस प्रमुख शामिल थे।
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि बलात्कार के मामलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम बापू पर वृत्तचित्र सार्वजनिक रिकॉर्ड, अदालती आदेशों और गवाहों की गवाही के आधार पर बनाया गया। ओटीटी प्लेटफॉर्म डिस्कवरी+ पर वृत्तचित्र जारी होने के बाद उन्होंने दावा किया कि उन्हें धमकियां मिली हैं।
बताया गया कि 30 जनवरी को उनके मुंबई कार्यालय के बाहर भीड़ जमा हो गई और हंगामा करने लगी। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर कर दिया लेकिन अपराधियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
केस टाइटल: शशांक वालिया व अन्य बनाम यूनियन ऑफ इंडिया व अन्य डब्ल्यू.पी. (सीआरएल.) संख्या 70/2025