दिल्ली में वकीलों के बेसमेंट ऑफिस को सील करने के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

Amir Ahmad

7 Oct 2025 11:53 AM IST

  • दिल्ली में वकीलों के बेसमेंट ऑफिस को सील करने के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वकीलों द्वारा संचालित बेसमेंट ऑफिस को सील करने से संबंधित मामले की सुनवाई की।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की खंडपीठ उन वकीलों द्वारा दायर आवेदन पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने ग्रेटर कैलाश-1 में अपने चैंबर बनाने के लिए बेसमेंट ऑफिस खरीदा था। बाद में निगरानी समिति के आदेश पर 2019 में उनके ऑफिस को सील कर दिया गया।

    पीड़ित वकीलों की ओर से सीनियर एडवोकेट गुरु कृष्ण कुमार पेश हुए।

    कोर्ट ने एमिक्स क्यूरी सीनियर एडवोकेट अनीता शेनॉय को बुधवार को इस संबंध में रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। अगली सुनवाई पर पीठ तदनुसार आदेश पारित करेगी।

    मामले की सुनवाई अब 27 अक्टूबर को होगी।

    पूरा मामला

    आवेदकों का कहना है कि प्रतिवादी उसी इमारत में रहता है। SDMC (दक्षिणी दिल्ली नगर निगम) के समक्ष शिकायत दर्ज कराई, जिसमें आवेदकों द्वारा बेसमेंट में अवैध निर्माण किए जाने का आरोप लगाया गया।

    इसके बाद प्रतिवादी ने दिल्ली हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने अक्टूबर, 2018 में प्रतिवादी को निगरानी समिति के पास जाने का निर्देश दिया और नवंबर, 2019 में समिति ने बेसमेंट परिसर को सील करने का निर्देश दिया।

    इससे व्यथित होकर आवेदकों ने अब एमसी मेहता याचिकाओं के तहत आवेदन दायर किए, जिनमें दक्षिण दिल्ली नगर निगम (MDMC) को वकील का ऑफिस चलाने के उद्देश्य से परिसर की सील हटाने और निगरानी समिति के 20.11.2019 के सीलिंग आदेश को रद्द करने का निर्देश देने की मांग की गई।

    2019 में सुप्रीम कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश पारित किया, जिसमें आवेदकों को अगली सुनवाई तक अपने वकील का कार्यालय चलाने की अनुमति दी गई और मामले को जनवरी, 2020 के लिए सूचीबद्ध किया गया।

    COVID-19 के दौरान मामला लंबित रहा और पक्षों के बीच समझौते और मध्यस्थता के प्रयास विफल रहे। 13 सितंबर, 2022 के आदेश द्वारा सुप्रीम कोर्ट ने निगरानी समिति के सीलिंग आदेशों से संबंधित सभी लंबित IA को नवगठित न्यायिक समिति को स्थानांतरित कर दिया।

    पिछली सुनवाई में अदालत ने पाया कि MCD ने भवन निर्माण में कई अनियमितताओं और अवैधताओं को उजागर करते हुए हलफनामा दायर किया और सक्षम प्राधिकारियों के समक्ष कार्यवाही लंबित थी। तदनुसार न्यायालय ने मामले को उचित चरण में उठाने का निर्देश दिया।

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