मुस्लिम समुदाय को बदनाम किया गया : जमीअत ने 'उदयपुर फाइल्स' फिल्म को 6 कट के साथ मंजूरी दिए जाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी
Amir Ahmad
24 July 2025 3:20 PM IST

जमीअत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' को छह संशोधनों के साथ रिलीज़ की अनुमति देने वाले केंद्र सरकार के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
मदनी ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश के विरुद्ध चल रही याचिकाओं के तहत भी आपत्तियां दर्ज कराईं, जिसमें हाईकोर्ट ने फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगाई थी जब तक कि सेंसर बोर्ड की पुनर्विचार याचिकाओं पर केंद्र का निर्णय नहीं आ जाता।
अपने आपत्तियों में मदनी ने आरोप लगाया कि फिल्म के निर्माता अमित जानी खुद को सोशल एक्टिविस्ट बताने वाले उत्तर प्रदेश नव-निर्माण सेना के संस्थापक हैं, जो पूर्व में सांप्रदायिक रंग वाले प्रचार में शामिल रहे हैं।
मीडिया रिपोर्टों के हवाले से उन्होंने आरोप लगाया कि जानी ने 2012 में यूपी की मुख्यमंत्री मायावती की मूर्ति तोड़ी, शिवसेना कार्यालय में तोड़फोड़ की, कन्हैया कुमार और उमर खालिद को सिर काटने की धमकी देते हुए पत्र बस में रखवाया, ताजमहल जैसी ऐतिहासिक धरोहरों की भड़काऊ तस्वीरें साझा कीं, कश्मीरी नागरिकों को धमकियां दीं।
मदनी ने कहा कि यह मामला किसी वास्तविक कलात्मक अभिव्यक्ति का नहीं बल्कि राजनीतिक प्रचार को फिल्मकार की आड़ में परोसे जाने से जुड़ा है।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने आपत्तियों में कहा कि यह फिल्म घृणा फैलाने वाला भाषण (Hate Speech)” है, जो एक पूरे समुदाय के खिलाफ साजिशी दावे और नकारात्मक रूढ़ियाँ प्रस्तुत करती है।
उन्होंने कहा,
“फिल्म में मुस्लिम समुदाय को योजनाबद्ध, हिंसक, राष्ट्रविरोधी और दुश्मन देशों के इशारों पर काम करने वाला दिखाया गया। हर मुस्लिम पात्र को दगाबाज़, हिंसक और देश विरोधी रूप में चित्रित किया गया।”
मदनी का तर्क है कि इस तरह की प्रस्तुति का उद्देश्य स्पष्ट रूप से मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाना और सांप्रदायिक तनाव भड़काना है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि फिल्म की अधिकांश सामग्री कन्हैया लाल की हत्या से संबंधित नहीं है, बल्कि उसका बड़ा हिस्सा गैर-मुस्लिमों को मुस्लिमों से डराने और उनके प्रति अविश्वास पैदा करने पर केंद्रित है।
मदनी ने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि फिल्म को प्रमाण पत्र देने के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर विचार करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई समिति के कुछ सदस्य भारतीय जनता पार्टी (BJP) से जुड़े हुए हैं।
उन्होंने कहा कि सिनेमैटोग्राफ एक्ट की धारा 6 यह प्रावधान नहीं करती कि फिल्म को केवल कुछ बदलावों" के साथ पास किया जा सकता है और इन छह बदलावों को उन्होंने तथाकथित और कृत्रिम बताया।
अंत में मदनी ने सुप्रीम कोर्ट की पीठ के लिए फिल्म की निजी स्क्रीनिंग की भी मांग की ताकि न्यायाधीश स्वयं फिल्म का विषयवस्तु समझ सकें।
यह याचिकाएं जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची खंडकी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध हैं।

