सुप्रीम कोर्ट ने 'कैश-फॉर-वोट' मामले में ट्रायल को चुनौती देने वाली तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की याचिका पर सुनवाई स्थगित की

Shahadat

5 Jan 2024 9:20 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने कैश-फॉर-वोट मामले में ट्रायल को चुनौती देने वाली तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की याचिका पर सुनवाई स्थगित की

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (5 जनवरी) को तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी। उक्त याचिका में कैश-फॉर-वोट घोटाला मामले की सुनवाई के ट्रायल कोर्ट के अधिकार क्षेत्र को चुनौती दी गई थी। यह मामला अब चार हफ्ते बाद सामने आने की उम्मीद है।

    जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की खंडपीठ तेलंगाना हाईकोर्ट के जून 2021 के आदेश के खिलाफ तेलंगाना के वर्तमान मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करने वाली थी, जिसमें ट्रायल कोर्ट के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाने वाली उनकी पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी गई थी। मामला विशेष भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) अदालत में लंबित है।

    हालांकि, मामला शुक्रवार के लिए सूचीबद्ध था, लेकिन खंडपीठ राज्य के एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड के परिवार के सदस्य के शोक के आधार पर सुनवाई स्थगित करने पर सहमत हुई।

    मामले की पृष्ठभूमि

    मामला इन आरोपों से संबंधित है कि रेवंत रेड्डी ने विधान परिषद के लिए एमएलसी चुनाव के दौरान तत्कालीन मनोनीत विधायक एल्विस स्टीफेंसन को 5 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की। रिश्वत का उद्देश्य कथित तौर पर तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के पक्ष में स्टीफेंसन का वोट हासिल करना था। रेड्डी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 12 और भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 34 के सपठि धारा 120बी के तहत आरोपों का सामना करना पड़ा।

    रेड्डी कथित अपराध के समय राज्य विधान सभा के सदस्य थे। उन्होंने मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की प्रयोज्यता पर आपत्ति जताई और तर्क दिया कि चुनावी कदाचार आईपीसी के अध्याय IXA के अंतर्गत आता है। इस प्रकार विरोधी को चुनौती दी गई। एफआईआर दर्ज करना भ्रष्टाचार ब्यूरो का अधिकार क्षेत्र है।

    उन्होंने तर्क दिया कि रिश्वत की पेशकश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 12 के तहत सजा की गारंटी नहीं देती। विधायक ने आगे कहा कि वोट देने के अपने अधिकार का प्रयोग करने वाला विधायक लोक सेवक के रूप में अपने सार्वजनिक कर्तव्यों से अलग निर्वाचक के रूप में कार्य कर रहा है। रेड्डी ने दावा किया कि एसीबी ने गलती से चुनाव संबंधी अपराधों की जांच करने और आरोप पत्र दायर करने का अधिकार क्षेत्र मान लिया।

    तेलंगाना हाईकोर्ट ने संवैधानिक सिद्धांतों और मतदान के महत्व का हवाला देते हुए एसीबी के अधिकार क्षेत्र बरकरार रखा और जांच आगे बढ़ाने की अनुमति दी। इसने निष्कर्ष निकाला कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 12 और आईपीसी की अन्य धाराओं के तहत आरोप तय करने के लिए प्रथम दृष्टया सामग्री है।

    जस्टिस के लक्ष्मण की एकल-न्यायाधीश पीठ ने अपने फैसले में मतदाता ईमानदारी के महत्व पर भी जोर दिया।

    अदालत ने अपने आदेश में कहा,

    "मतदाता को अपने नेता से ईमानदार होने की उम्मीद करते हुए ईमानदार होना चाहिए। भ्रष्ट मतदाता अपने नेता से ईमानदार होने की उम्मीद नहीं कर सकता।"

    इस नतीजे से असंतुष्ट रेवंत रेड्डी ने विशेष अनुमति याचिका दायर करके सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उनकी याचिका में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई, जिसमें कहा गया कि वह मामले के महत्वपूर्ण तथ्यों और गुणों पर विचार करने में विफल रहे।

    केस टाइटल- ए रेवंत रेड्डी बनाम तेलंगाना राज्य | विशेष अनुमति याचिका (आपराधिक) नंबर 5333 2021

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