सुप्रीम कोर्ट ने विस्थापित मणिपुरियों के लिए मतदान की व्यवस्था की मांग वाली याचिका खारिज की, कहा-चुनाव आयोग को निर्देश जारी करने के लिए समय नहीं बचा
LiveLaw News Network
16 April 2024 4:44 AM GMT
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (15 अप्रैल) को उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें जातीय संघर्ष के कारण मणिपुर से विस्थापित हुए लगभग 18,000 लोगों के लिए अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र में 19 और 26 अप्रैल को होने वाले लोकसभा चुनावों में वोट डालने की व्यवस्था करने की मांग की गई थी।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच, जिसमें जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे, ने कहा कि मणिुपर में आम चुनाव से तीन दिन पहले चुनाव आयोग को शिलांग, कोलकाता, गुवाहाटी, हैदराबाद, दिल्ली एनसीआर, बेंगलुरु, कोहिमा के आसपास के इलाकों में रह रहे आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों (आईडीपी) के लिए व्यवस्था करने का निर्देश देना व्यावहारिक नहीं होगा।
शीर्ष अदालत ने कहा कि ईसीआई ने 29 फरवरी, 2024 को मणिपुर के भीतर 'ट्रांजिटरी कैंप' में आईडीपी के मतदान के लिए एक योजना जारी की थी, जबकि याचिकाकर्ता ने मणिपुर के बाहर आईडीपी के लिए विशेष रूप से दिशा-निर्देश मांगने वाली याचिका बहुत देर से दायर की है।
मामले में पेश याचिका का मुख्य तर्क यह था कि चुनाव आयोग की ओर से मणिपुर के बाहर आईडीपी के लिए एक योजना बनाने का निर्देश दिया जाए, जो कि कश्मीरी प्रवासियों के लिए बनाई गई योजना के समान हो, जो अपने निर्वाचन क्षेत्रों के बाहर विस्थापित हो गए थे, लेकिन उनके लिए 'अस्थायी शिविरों' में वोट डालने की व्यवस्था की गई थी।
हालांकि, न्यायालय ने उनकी दलील को इस आधार पर खारिज कर दिया कि वर्तमान स्थिति में समानता नहीं बनाई जा सकती। पीठ ने स्पष्ट किया कि जब राज्यों का पुनर्गठन हुआ तो विस्थापित व्यक्तियों के लिए मतदान पर जम्मू-कश्मीर प्रावधानों को ईसीआई ने लागू किया था, लेकिन जब मणिपुर में चुनाव की बात आती है तो ऐसी कोई कानूनी परिस्थिति मौजूद नहीं है।
गौरतलब है कि ईसीआई ने 16 मार्च को घोषणा की थी कि मणिपुर में आम चुनाव 4 चरणों में होंगे। मणिपुर की जनता दो लोकसभा सीटों के लिए मतदान करेगी।
केस डिटेलः नौलक खमसुअनथांग बनाम भारतीय चुनाव आयोग NAULAK KHAMSUANTHANG vs. ELECTION COMMISSION OF INDIA W.P.(C) No. 000243 - / 2024