सुप्रीम कोर्ट ने 23 साल पुराने हत्या मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा 'टेनी' को बरी करने का फैसला बरकरार रखा

Shahadat

8 Jan 2024 12:14 PM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने 23 साल पुराने हत्या मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बरी करने का फैसला बरकरार रखा

    सुप्रीम कोर्ट ने प्रभात गुप्ता की हत्या के मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बरी करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। उभरते छात्र नेता गुप्ता की वर्ष 2000 में लखीमपुर खीरी जिले में दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी।

    मौजूदा मामले में केंद्रीय मंत्री टेनी समेत चार लोगों को आरोपी बनाया गया था। 2004 में टेनी को निचली अदालत ने बरी कर दिया था. निचली अदालत के आदेश के खिलाफ शिकायतकर्ता/पुनर्विचारकर्ता (संतोष गुप्ता/मृतक प्रभात गुप्ता के पिता) द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी।

    पुनर्विचार फरवरी, 2005 में स्वीकार किया गया था और बरी करने के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा दायर आपराधिक अपील से जुड़ा था। हाईकोर्ट ने पुनर्विचार याचिका और राज्य की अपील खारिज कर दी। इस पृष्ठभूमि में, शिकायतकर्ता के कानूनी उत्तराधिकारी द्वारा वर्तमान अपील दायर की गई।

    जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मित्तल की बेंच के सामने मामला रखा गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह हाईकोर्ट और ट्रायल कोर्ट के समवर्ती निष्कर्षों में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं है।

    मामले की संक्षिप्त पृष्ठभूमि

    टेनी पर आरोप है कि उसका मृतक से पंचायत चुनाव को लेकर विवाद हुआ था। अत: मृतक की टेनी एवं सह-अभियुक्त सुभाष उर्फ मामा ने गोली मारकर हत्या कर दी। राज्य के मामले के अनुसार, ट्रायल कोर्ट ने प्रत्यक्षदर्शी की गवाही को नजरअंदाज कर दिया। इसके विपरीत, टेनी ने तर्क दिया कि ट्रायल कोर्ट ने कथित प्रत्यक्षदर्शी की गवाही को विश्वसनीय नहीं पाया। इसलिए ट्रायल कोर्ट द्वारा उसे अपराध से बरी करना उचित है।

    हाईकोर्ट की जस्टिस अताउर्रहमान मसूदी और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को "प्रशंसनीय और टिकाऊ दृष्टिकोण माना, खासकर जब ट्रायल कोर्ट को गवाहों के व्यवहार को देखने और उसका आकलन करने का लाभ मिला।"

    यह निष्कर्ष निकाला गया कि ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित बरी करने के आदेश में कोई विकृति नहीं थी।

    खंडपीठ ने कहा,

    “वर्तमान मामले में दर्ज किए गए सबूतों की उसके सही परिप्रेक्ष्य में सराहना की गई। ट्रायल कोर्ट ने किसी भी समय मूल तथ्यों को नहीं छोड़ा। इस प्रकार, हमें ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित बरी करने के आदेश में कोई विकृति नहीं मिलती। किसी भी मामले में कानून ट्रायल कोर्ट द्वारा उचित निर्णय के बाद आरोपी के पक्ष में दोहरी धारणा मानता है।

    केस टाइटल: राजीव गुप्ता बनाम अजय मिश्रा उर्फ टेनी, डायरी नंबर- 33673 - 2023

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