सुप्रीम कोर्ट ने रात 3.30 बजे आरोपी का बयान दर्ज करने पर ED से सवाल किया

Shahadat

5 Jun 2024 3:52 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने रात 3.30 बजे आरोपी का बयान दर्ज करने पर ED से सवाल किया

    सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) से तड़के 3.30 बजे आरोपी से पूछताछ करने के लिए सवाल किया।

    जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस केवी विश्वनाथन की अवकाश पीठ ED द्वारा व्यक्ति की गिरफ्तारी की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे देर रात पूछताछ के लिए बुलाया गया था और अगली सुबह अधिकारियों द्वारा हिरासत में लिए जाने के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया।

    जस्टिस केवी विश्वनाथन ने कहा,

    "आप उसे सुबह 10.30 बजे बुलाते हैं। हम इस समय को वास्तविक गिरफ्तारी मानेंगे, लेकिन रात 3.30 बजे?...हम इस समय पर हैं।"

    न्यायालय के निर्णय के लिए मुख्य प्रश्न यह है कि क्या किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता को अधिकारियों द्वारा सीमित किए जाने के क्षण को आधिकारिक गिरफ्तारी माना जा सकता है, भले ही गिरफ्तारी ज्ञापन में दर्ज समय कुछ भी हो।

    वर्तमान कानूनी चुनौती की उत्पत्ति बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा पारित उस आदेश में निहित है, जिसमें उक्त गिरफ्तारी की वैधता को बरकरार रखा गया। जबकि आदेश ने देर रात को समन किए गए व्यक्ति के बयान दर्ज करने में ED के आचरण की निंदा की, जिससे उसके सोने के अधिकार का उल्लंघन हुआ, लेकिन यह निष्कर्ष निकाला कि याचिकाकर्ता समन के तहत ED कार्यालय में प्रवेश करते समय हिरासत में नहीं था।

    याचिकाकर्ता का मामला यह है कि उसे 7 अगस्त, 2023 को सुबह 10:30 बजे ED ने दिल्ली स्थित अपने कार्यालय में बुलाया था। इसके अलावा, उसका फोन छीन लिया गया और फिर उससे गहन पूछताछ की गई।

    जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने इससे पहले मामले में नोटिस जारी किया था। पीठ ने अपीलकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले सीनियर कपिल सिब्बल को सुना था।

    उन्होंने बताया कि हालांकि वे 7.8.23 की सुबह 10:30 बजे से ही ED के अधिकारियों की निगरानी में थे, लेकिन गिरफ्तारी अगले दिन यानी 08.08.2023 को सुबह 5:30 बजे ही हुई।

    सिब्बल ने तर्क दिया कि यह संविधान के अनुच्छेद 22(2) का घोर उल्लंघन है, जिसमें प्रावधान है कि गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए व्यक्ति को जल्द से जल्द मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाना चाहिए।

    याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील ने अंतरिम जमानत की मांग की। हालांकि, कोर्ट ने यह राहत देने से इनकार किया और वकील से मामले पर बहस करने को कहा।

    दूसरी ओर, ED के वकील ने कानून का सवाल उठाते हुए जवाब दाखिल करने के लिए कोर्ट से समय मांगा।

    तदनुसार, कोर्ट ने मामले को जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया।

    केस टाइटल: राम कोटूमल इसरानी बनाम प्रवर्तन निदेशालय और अन्य। अपील के लिए विशेष अनुमति (सीआरएल) नंबर 6181/2024

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