सरकारी वकील के पदों पर भी दिव्यांग आरक्षण की मांग: सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया
Amir Ahmad
3 Dec 2025 3:31 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अतिरिक्त लोक अभियोजक और अतिरिक्त सरकारी वकील के पदों पर दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम (RPwD Act) के तहत आरक्षण की मांग वाली एक याचिका पर नोटिस जारी किया।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने इस संबंध में आदेश पारित किया।
याचिकाकर्ता प्रैक्टिस कर रही वकील हैं, जिन्हें RPwD Act के तहत बेंचमार्क दिव्यांगता प्राप्त है और उनका 19 वर्षों का अनुभव है। उन्होंने केरल सरकार कानून अधिकारी (नियुक्ति और सेवा की शर्तें) नियम 1978 के तहत इन पदों के लिए आवेदन किया लेकिन उनका प्रतिनिधित्व इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि ये पद कैडर पद नहीं हैं, इसलिए RPwD Act की धारा 34 लागू नहीं होती।
RPwD Act की धारा 34 अनिवार्य करती है कि बेंचमार्क दिव्यांगता वाले व्यक्तियों के लिए प्रत्येक समूह के पदों की कैडर शक्ति में कुल रिक्तियों का 4% आरक्षण सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
सिंगल बेंच ने उत्तर प्रदेश राज्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य विधि अधिकारी एसोसिएशन (1994) मामले का हवाला देते हुए याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा था कि सरकारी वकीलों और लोक अभियोजकों की नियुक्ति और समाप्ति सरकार की इच्छा पर होती है और यह सरकारी मुवक्किल का विवेकाधिकार है कि वह अपने मामलों की पैरवी के लिए सर्वश्रेष्ठ वकील का चयन करे। खंडपीठ ने भी सिंगल बेंच का आदेश बरकरार रखा और कहा कि ये पद स्थायी नहीं हैं, इसलिए धारा 34 लागू नहीं होती।
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिसमें मुख्य रूप से निम्नलिखित तर्क दिए गए:
याचिकाकर्ता का कहना है कि धारा 34 स्थायी, अस्थायी और संविदात्मक पदों के बीच कोई अंतर नहीं करती है। हाईकोर्ट ने अधिनियम में ऐसा भेद करके कानूनी जनादेश को कम कर दिया।
उनका तर्क है कि हाईकोर्ट का यह तर्क कि आरक्षण केवल स्थायी पदों पर लागू होगा RPwD Act के विधायी उद्देश्य यानी सामाजिक समावेशन को विफल करता है।
याचिका में यह भी कहा गया कि खंडपीठ ने सरकार को निजी मुवक्किल के बराबर मानकर गलती की। याचिकाकर्ता का दावा है कि अनुच्छेद 12 के तहत राज्य होने के कारण सरकार निजी संस्था नहीं है, बल्कि एक संवैधानिक प्राधिकरण है, जो वैधानिक दायित्वों से बंधी है।
सुप्रीम कोर्ट ने अब इस महत्वपूर्ण याचिका पर नोटिस जारी किया।

