पश्चिम बंगाल की डोर स्टेप राशन योजना की वैधता से जुड़ी याचिकाओं पर जनवरी में सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

Amir Ahmad

27 Nov 2025 12:46 PM IST

  • पश्चिम बंगाल की डोर स्टेप राशन योजना की वैधता से जुड़ी याचिकाओं पर जनवरी में सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 2021 की पश्चिम बंगाल 'दुआरे राशन योजना' की वैधता से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई जनवरी, 2026 तक के लिए टाल दी। इस योजना के तहत राज्य सरकार पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के ज़रिए लाभार्थियों के घर-घर जाकर अनाज पहुंचाती है।

    जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने राज्य के वकीलों सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल और राकेश द्विवेदी के अनुरोध पर मामले की सुनवाई 15 जनवरी तक के लिए टाल दी। सिब्बल ने अलग-अलग राज्यों में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) से जुड़े मामले में अपनी पहले से तय व्यस्तता के कारण सुनवाई टालने का अनुरोध किया था, जिसकी सुनवाई चीफ जस्टिस की बेंच कर रही है।

    पश्चिम बंगाल सरकार ने 28 सितंबर 2022 के आदेश को चुनौती दी, जिसमें जस्टिस अनिरुद्ध रॉय और जस्टिस चित्तरंजन दास की डिवीजन बेंच ने इस योजना को नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट, 2013 (NFSA 2013) के तहत अवैध और अल्ट्रा वायर्स बताया। यह देखा गया कि राज्य सरकार ने फेयर प्राइस शॉप डीलरों को लाभार्थियों के घर पर राशन बांटने के लिए मजबूर करके अपने अधिकार की सीमा पार कर दी है, जबकि NFSA जैसे लागू एक्ट में ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं दिया गया। (शेख अब्दुल माजेद बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य)।

    कोर्ट ने कहा,

    "अगर 'NFS Act में केंद्र सरकार यानी संसद द्वारा लाभार्थियों को घर-घर जाकर अनाज पहुंचाने के लिए संशोधन किया जाता है या राज्य सरकार को ऐसी कोई शक्ति दी जाती है तभी राज्य सरकार ऐसी कोई योजना बना सकती है और उसे लागू एक्ट के अनुरूप कहा जा सकता है।"

    गौरतलब है कि नवंबर 2022 में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच ने 28 सितंबर के फैसले से पहले की स्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। यह स्थिति आज तक बनी हुई है। डिवीजन बेंच का यह फैसला जून, 2022 में एक सिंगल जज जस्टिस कृष्णा राव के फैसले के बाद आया, जिन्होंने दुआरे राशन स्कीम की संवैधानिकता को सही ठहराया था और इसमें कोई गैर-कानूनी बात नहीं पाई थी। हाई कोर्ट के सामने मुद्दा यह था कि राज्य सरकार द्वारा 13 सितंबर, 2021 को जारी किया गया नोटिफिकेशन जिसने पश्चिम बंगाल पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (मेंटेनेंस एंड कंट्रोल) ऑर्डर, 2013 के क्लॉज 18 में बदलाव किया था। उसे असंवैधानिक और एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट, 1955 और नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट, 2013 (NFSA, 2013) के अल्ट्रा वायर्स घोषित किया जाए। इसे इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि राशन के सामान के डिस्ट्रीब्यूशन से संबंधित कोई भी स्कीम जो पहले से ही एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट और NFSA के तहत पास किए गए केंद्र सरकार के ऑर्डर के दायरे में आती है (एस.के. मनोवर अली और अन्य बनाम पश्चिम बंगाल राज्य)।

    दिसंबर, 2021 में कलकत्ता हाईकोर्ट की एक और सिंगल जज जस्टिस मौशुमी भट्टाचार्य ने भी इस स्कीम को सही ठहराया। उन्होंने कहा कि टारगेटेड पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम में सुधार और भोजन और पोषण सुरक्षा तक पहुंचने के लिए बनाई गई कल्याणकारी योजना मौजूदा अस्तित्व संबंधी चुनौती से निपटने के लिए एक ज़रूरी कदम है।

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