अभियुक्त द्वारा दर्ज FIR में दिए गए बयानों का इस्तेमाल दूसरे अभियुक्त के खिलाफ नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

Amir Ahmad

11 Aug 2025 1:38 PM IST

  • अभियुक्त द्वारा दर्ज FIR में दिए गए बयानों का इस्तेमाल दूसरे अभियुक्त के खिलाफ नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि अभियुक्त द्वारा FIR में दिए गए बयानों का इस्तेमाल दूसरे अभियुक्त के खिलाफ नहीं किया जा सकता।

    अतः कानूनी स्थिति यह है कि मामले के एक अभियुक्त द्वारा दर्ज FIR में दिए गए बयान का इस्तेमाल किसी भी तरह से दूसरे अभियुक्त के खिलाफ नहीं किया जा सकता।

    यहां तक कि बयान देने वाले अभियुक्त के खिलाफ भी अगर बयान दोषसिद्धि प्रकृति का है तो उसका इस्तेमाल न तो पुष्टि या खंडन के लिए किया जा सकता है, जब तक कि बयान देने वाला खुद मुकदमे में गवाह के तौर पर पेश न हो।

    जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की खंडपीठ ने उस मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी दोहराई, जिसमें अभियुक्त को उसके द्वारा दर्ज की गई इकबालिया FIR के आधार पर हत्या के अपराध के लिए दोषी ठहराया गया था।

    न्यायालय ने अभियुक्त की दोषसिद्धि को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि इकबालिया प्रकृति की FIR भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1972 की धारा 25 के अंतर्गत आती है, जिससे FIR की विषयवस्तु उसके रचयिता के विरुद्ध अग्राह्य हो जाती है। न्यायालय ने यह भी कहा कि इकबालिया प्रकृति की FIR भी सह-अभियुक्त के विरुद्ध प्रयोग नहीं की जा सकती।

    समर्थन में फद्दी बनाम मध्य प्रदेश राज्य (1964) मामले का हवाला दिया गया, जिसमें यह सिद्धांत प्रतिपादित किया गया कि इकबालिया FIR का प्रयोग उसके रचयिता के विरुद्ध नहीं किया जा सकता, जब वह अभियुक्त हो और अनिवार्य रूप से सह-अभियुक्त के विरुद्ध भी नहीं किया जा सकता।

    इसके अतिरिक्त अघनू नागेसिया बनाम बिहार राज्य (1965) मामले का संदर्भ लेते हुए न्यायालय ने कहा कि जब इकबालिया FIR में दोषमुक्ति और दोषमुक्ति दोनों कथन हों और दोषमुक्ति वाले भाग को छांटना संभव न हो तो उसे संपूर्ण रूप से साक्ष्य से बाहर रखा जाना चाहिए।

    केस टाइटल: नारायण यादव बनाम छत्तीसगढ़ राज्य

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