चार्ज तय करने में देरी : सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट्स को एमिक्स क्यूरी को मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया
Amir Ahmad
21 Nov 2025 4:54 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में ट्रायल कोर्ट द्वारा चार्ज फ्रेमिंग में हो रही देरी को रोकने के लिए दिशानिर्देश बनाने के अपने प्रस्तावित प्रयास के तहत शुक्रवार को सभी हाईकोर्ट्स के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया कि वह एमिक्स क्यूरी को मांगी गई सूचनाएं जल्द उपलब्ध कराएं।
न्यायालय ने कहा कि हाईकोर्ट के चीफ जज जिला अदालतों से जानकारी जुटाने के लिए आवश्यक होने पर समितियां गठित कर सकते हैं और संबंधित आंकड़े अमिकस को भेज सकते हैं। मामले में सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा और नागामुथु एमिक्स क्यूरी के रूप में नियुक्त हैं।
लूथरा ने अदालत को बताया कि देशभर में लंबित आपराधिक मामलों की स्थिति गंभीर है और चार्ज तय करने में अत्यधिक देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट की चिंता के बाद उन्होंने विभिन्न अदालतों से विस्तृत जानकारी मांगी थी। उन्होंने बताया कि कुछ हाईकोर्ट्स जैसे केरल, जम्मू-कश्मीर व लद्दाख, तेलंगाना, मद्रास और इलाहाबाद ने जवाब भेजे हैं लेकिन अधिकतर हाईकोर्ट्स से जानकारी अभी लंबित है।
यह मामला उस आदेश से जुड़ा हुआ है, जिसमें जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की खंडपीठ ने हाल ही में कहा था कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 251(b) के तहत सेशंस ट्रायल वाले मामलों में पहले ही दिन से 60 दिनों के भीतर आरोप तय करना अनिवार्य है। अदालत ने पाया था कि इस वैधानिक समयसीमा का व्यापक रूप से उल्लंघन हो रहा है, जबकि कई आरोपी वर्षों से जेल में हैं और उनके खिलाफ आरोप तक तय नहीं हुए।
सुनवाई के दौरान लूथरा ने बताया कि कुछ अदालतों ने यह टिप्पणी की है कि उनके पास 2022 के पुराने मामले लंबित हैं, इसलिए वह पहले उन मामलों को निपटाना प्राथमिक समझते हैं। इस पर जस्टिस कुमार ने टिप्पणी की उन्हें दिन-रात मेहनत करनी होगी, बस।
लूथरा ने स्पष्ट किया कि उन्होंने केवल BNSS के मामलों की जानकारी ही मांगी, क्योंकि इसी कानून ने समयसीमा तय की है। यदि पुराने दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) वाले मामलों की पूरी जानकारी मांगी जाए, तो वर्षों पीछे तक जाना पड़ेगा और यह व्यावहारिक नहीं होगा।
लूथरा ने अनुरोध किया कि मामले को नॉन-मिस्लेनियस डे पर कुछ सप्ताह बाद सूचीबद्ध किया जाए ताकि वह सभी हाईकोर्ट्स से संकलित जानकारी प्रस्तुत कर सकें।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा,
हाईकोर्ट्स से प्राप्त आंकड़ो को रिकॉर्ड पर लाया जाए। जिन हाईकोर्ट्स ने अभी तक जवाब नहीं भेजा है, वे तुरंत आवश्यक सूचनाएं उपलब्ध कराएं। जरूरत पड़ने पर संबंधित हाईकोर्ट्स के चीफ जस्टिस इस कार्य के लिए समिति गठित कर सकते हैं। मामला अब 16 दिसंबर को दोपहर 2 बजे फिर सुना जाएगा।
कोर्ट ने यह भी दर्ज किया कि केंद्र सरकार ने एक संक्षिप्त हलफनामा दायर किया है तथा गृह मंत्रालय को पक्षकार बनाया गया। एमिक्स क्यूरी को आगे की सहायता अधिवक्ता चिदानंद उपलब्ध कराएंगे।
सुप्रीम कोर्ट का यह हस्तक्षेप उन मामलों के संदर्भ में महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जहां आरोपी लंबे समय से न्यायिक हिरासत में हैं पर उनके खिलाफ आरोप तय नहीं किए गए जिससे उनके मौलिक अधिकार प्रभावित हो रहे हैं।

