सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव मामले में गौतम नवलखा को दी गई जमानत पर बॉम्बे हाईकोर्ट की रोक बढ़ाई

Shahadat

5 Jan 2024 9:47 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव मामले में गौतम नवलखा को दी गई जमानत पर बॉम्बे हाईकोर्ट की रोक बढ़ाई

    कथित माओवादी संबंधों को लेकर भीमा कोरेगांव मामले में पत्रकार गौतम पी नवलखा को जमानत देने को चुनौती देने वाली राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देने के आदेश पर बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा दी गई रोक आगे बढ़ा दी।

    जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एसवीएन भट्टी की खंडपीठ ने मामले को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष सूचीबद्ध करने का आदेश दिया, जिससे मामलों को एकल पीठ द्वारा सुनवाई के लिए सक्षम बनाने लिए सह-अभियुक्तों द्वारा दायर अन्य संबंधित याचिकाओं के साथ इसे सूचीबद्ध करने या सभी को साथ जोड़ने पर निर्णय लिया जा सके।

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने 19 दिसंबर, 2023 को दिए गए फैसले में नवलखा को यह कहते हुए जमानत दे दी कि यह अनुमान लगाने के लिए कोई सामग्री नहीं है कि उन्होंने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (UAPA Act) की धारा 15 के तहत आतंकवादी कृत्य किया है। NIA के अनुरोध पर हाईकोर्ट ने जमानत आदेश को 3 सप्ताह के लिए निलंबित कर दिया, जिससे एजेंसी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपील कर सके।

    सुनवाई के दौरान, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने बताया कि आरोपी-महेश राउत, जिनके साथ नवलखा ने समानता का दावा किया, और जिनके संबंध में इसी तरह के आरोप लगाए गए, उनके जमानत आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी।

    नवलखा की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि वह अन्य सह-अभियुक्त अरुण फरेरा और वर्नोन गोंसाल्वेस के साथ समानता के हकदार हैं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी। उन्होंने मामले के अन्य आरोपी प्रोफेसर आनंद तेलतुंबडे के मामले के साथ समानता का भी दावा किया, जिन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमानत दे दी थी। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप नहीं किया था।

    जस्टिस एसवीएन भट्टी ने इस पर कहा कि सवाल यह है कि क्या महेश राउत की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सवाल उठाया गया, या नहीं और क्या उस संबंध में मामला अदालत के समक्ष लंबित है। दोनों प्रश्नों का उत्तर हां में दिया गया।

    यह देखते हुए कि कई संबंधित मामले अदालत की विभिन्न पीठों के समक्ष लंबित हैं, जस्टिस सुंदरेश ने सीजेआई चंद्रचूड़ से निर्णय लेने की इच्छा व्यक्त की।

    इस पर आपत्ति जताते हुए सीनियर वकील सिंघवी ने कहा कि याचिका ट्रांसफर करने की कोई जरूरत नहीं है। वैकल्पिक रूप से, यह आग्रह किया गया कि यदि मामले को किसी अन्य मामले के साथ टैग किया जाना है तो यह आरोपी-हनी बाबू या नवलखा के अपने मामले (एसएलपी (सीआरएल) नंबर 9216/2022) के साथ होना चाहिए, जिसमें उन्हें हाउस अरेस्ट में ट्रांसफर किया गया।

    तदनुसार, मामले को सीजेआई के निर्णय के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया गया।

    एएसजी एसवी राजू ने बताया कि बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा दिया गया स्टे 9 जनवरी को समाप्त हो जाएगा, सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मामले को उचित आदेशों के लिए सूचीबद्ध होने तक बढ़ा दिया।

    मामले में नवलखा को 14 अप्रैल, 2020 को गिरफ्तार किया गया था। उनके खराब स्वास्थ्य के कारण सितंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें हाउस अरेस्ट कर दिया।

    केस टाइटल: राष्ट्रीय जांच एजेंसी बनाम गौतम पी. नवलखा और अन्य, एसएलपी (सीआरएल) नंबर 167/2024

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