सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में दलितों के खिलाफ सामाजिक बहिष्कार का आह्वान करने वाले हरियाणा के गांव में स्वतंत्र जांच के निर्देश दिए

Shahadat

23 Oct 2024 9:35 AM IST

  • सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में दलितों के खिलाफ सामाजिक बहिष्कार का आह्वान करने वाले हरियाणा के गांव में स्वतंत्र जांच के निर्देश दिए

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में उत्तर प्रदेश के दो पूर्व डीजीपी को हरियाणा के हिसार जिले के गांव में मौजूदा स्थिति की स्वतंत्र जांच करने का निर्देश दिया, जिसके संबंध में 2017 में दलित व्यक्तियों के सामाजिक बहिष्कार के आरोप लगाए गए।

    जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस अरविंद कुमार की खंडपीठ ने आदेश पारित करते हुए विक्रम चंद गोयल, पूर्व डीजीपी, 1975 यूपी और कमलेंद्र प्रसाद, पूर्व डीजीपी, 1981 यूपी से अनुरोध किया कि वे जांच करें और मौजूदा स्थिति के बारे में 3 महीने के भीतर अदालत के समक्ष स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें। साथ ही उठाए जाने वाले कदमों के बारे में भी बताएं। प्रतिवादियों ने जोर देकर कहा कि हाल के दिनों में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है और "सामान्य स्थिति" बनी हुई है।

    याचिकाकर्ता ने इस प्रकार स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की:

    "20.08.17 को आरोप पत्र दाखिल किया गया। कोई गिरफ्तारी नहीं हुई। हरियाणा पुलिस ने आरोप पत्र में 7 में से 6 आरोपियों को क्लीन चिट दी। उन्हें आरोपी नहीं बनाया। दलित पीड़ितों द्वारा पुलिस को दी गई शिकायत पर 28 पीड़ितों ने हस्ताक्षर किए, लेकिन पुलिस ने एक व्यक्ति को पीडब्लू बनाया। पुलिस द्वारा चुने गए इस व्यक्ति को पुलिस को 161 का बयान देते हुए दिखाया गया, जो लगभग खाली था और उसमें सामाजिक बहिष्कार का कोई जिक्र नहीं था।

    इसके अलावा दलितों के विरोधी प्रमुख समुदाय के 4 सदस्यों को पीडब्लू बनाया गया। सामाजिक बहिष्कार की शिकायत करने वाले 28 पीड़ितों का एक भी अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र पुलिस ने नहीं लिया और न ही आरोप पत्र के साथ अदालत में पेश किया। पीड़ित समुदाय द्वारा पुलिस को दिए गए वीडियो जिसमें प्रमुख समुदाय द्वारा सार्वजनिक बैठक में सामाजिक बहिष्कार का आह्वान दिखाया गया, उसका आरोप पत्र में उल्लेख नहीं किया गया और न ही अदालत में पेश किया गया।

    पुलिस द्वारा 153ए और 505 आईपीसी के तहत अभियोजन की मंजूरी नहीं ली गई। शिकायतकर्ताओं द्वारा आपत्ति जताए जाने के बाद ही देरी से मंजूरी दी गई। अभी तक मुकदमा शुरू नहीं हुआ। अपने आदेश में पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि ट्रायल कोर्ट द्वारा मुकदमे की कार्यवाही पर कोई प्रतिबंध नहीं है।

    मामले की पृष्ठभूमि

    दावों के अनुसार, विवाद जून, 2017 में तब शुरू हुआ, जब गांव के दबंग समुदाय के लोगों ने पानी भरने के लिए हैंडपंप के इस्तेमाल को लेकर दलित लड़कों के एक समूह पर हमला किया। हमले के परिणामस्वरूप 6 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया और FIR दर्ज की गई।

    जब दलित व्यक्तियों ने अपनी शिकायत वापस लेने से इनकार कर दिया तो दबंग समुदाय के सदस्यों और भाईचारा समिति नामक अपंजीकृत संगठन द्वारा उनके सामाजिक बहिष्कार का आह्वान किया गया।

    शुरू में इस मामले पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने विचार किया, लेकिन सामाजिक बहिष्कार जारी रहा। आखिरकार, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई, जिसमें आरोपों की CBI जांच और आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की गई, क्योंकि राज्य के अधिकारी स्पष्ट रूप से दबंग समुदाय का पक्ष ले रहे थे।

    याचिका में कहा गया,

    "इस मामले में पहले कभी भी दलित समुदाय के लगभग 500 घरों वाले गांव का डेढ़ साल से अधिक समय तक इतना गंभीर और लंबा सामाजिक बहिष्कार नहीं हुआ।"

    इस साल मई में हरियाणा राज्य ने यूपी राज्य के दो पूर्व डीजीपी द्वारा जांच का जिम्मा संभालने पर सहमति जताई थी।

    केस टाइटल: जय भगवान और अन्य बनाम हरियाणा राज्य और अन्य, रिट याचिका(याचिकाएं)(आपराधिक) नंबर 293/2019

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