1995 धोखाधड़ी मामले में NCP नेता माणिकराव कोकाटे की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई आंशिक रोक, विधायक पद से अयोग्यता पर फिलहाल राहत

Amir Ahmad

22 Dec 2025 1:46 PM IST

  • 1995 धोखाधड़ी मामले में NCP नेता माणिकराव कोकाटे की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई आंशिक रोक, विधायक पद से अयोग्यता पर फिलहाल राहत

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) अजित पवार गुट) के सीनियर नेता माणिकराव कोकाटे को बड़ी राहत देते हुए वर्ष 1995 के एक धोखाधड़ी मामले में उनकी दोषसिद्धि पर आंशिक रूप से रोक लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस रोक का प्रभाव केवल इतना होगा कि कोकाटे को विधायक के रूप में अयोग्यता का सामना नहीं करना पड़ेगा। हालांकि यह आदेश उन्हें किसी लाभ के पद पर बने रहने का अधिकार नहीं देगा।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) सूर्य कांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने यह आदेश पारित करते हुए कोकाटे की उस याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उनकी सजा तो निलंबित कर दी गई, लेकिन दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार कर दिया गया था।

    सुनवाई के दौरान जस्टिस बागची ने टिप्पणी की कि झूठी घोषणा मात्र से किसी दस्तावेज को जालसाजी नहीं कहा जा सकता और दोषसिद्धि में एक मौलिक त्रुटि प्रतीत होती है। हालांकि, खंडपीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि दोषसिद्धि पर दी गई राहत के बावजूद कोकाटे को किसी लाभ के पद पर बने रहने का अधिकार नहीं होगा।

    मामले की पृष्ठभूमि के अनुसार, माणिकराव कोकाटे पर आरोप है कि उन्होंने वर्ष 1989 से 1992 के बीच लागू एक सरकारी आवास योजना का अनुचित लाभ उठाया। यह योजना समाज के कमजोर वर्गों के लिए थी जिसके तहत केवल उन्हीं व्यक्तियों को पात्र माना गया, जिनकी वार्षिक आय 30 हजार रुपये से अधिक न हो। अभियोजन का आरोप है कि कोकाटे और उनके भाई विजय कोकाटे ने अपनी आय को 30 हजार रुपये से कम दर्शाते हुए झूठे हलफनामे दाखिल किए और इस आधार पर दो सरकारी फ्लैट हासिल कर लिए।

    अभियोजन के अनुसार उस समय कोकाटे न केवल वकालत से अच्छी आय अर्जित कर रहे थे बल्कि कृषि व्यवसाय से भी उन्हें पर्याप्त आमदनी हो रही थी। उनके पिता के पास लगभग 25 एकड़ कृषि भूमि थी जिस पर उगाई गई गन्ने की फसल को कोकाटे स्थानीय चीनी मिलों को सप्लाई करते थे। इससे भी उन्हें उल्लेखनीय आय होती थी। आरोप है कि इन तथ्यों का खुलासा उन्होंने सरकारी आवास के लिए आवेदन करते समय नहीं किया।

    कोकाटे को फरवरी, 2025 में ट्रायल कोर्ट ने दोषी ठहराया था। इसके बाद नासिक सेशन कोर्ट ने 16 दिसंबर को उनकी अपील खारिज करते हुए दोषसिद्धि बरकरार रखी और उन्हें दो वर्ष के कारावास की सजा सुनाई। सजा सुनाए जाने के बाद कोकाटे ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, जिसे राज्य सरकार द्वारा स्वीकार किए जाने की खबर है।

    इससे पहले, 12 दिसंबर को बॉम्बे हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने उनकी सजा पर रोक तो लगाई लेकिन दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार किया। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि विधायक के रूप में अयोग्यता की आशंका को 'असाधारण परिस्थिति' नहीं माना जा सकता। अदालत ने यह भी कहा कि एक संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति से उच्च स्तर की जवाबदेही की अपेक्षा की जाती है और दोषसिद्ध व्यक्ति को केवल सजा निलंबित होने के आधार पर सार्वजनिक पद पर बने रहने देना जनहित और लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत होगा।

    हाईकोर्ट ने यह भी टिप्पणी की थी कि ऐसे मामलों में दोषसिद्ध व्यक्तियों को पद पर बने रहने की अनुमति देना न केवल कानून के शासन को कमजोर करता है, बल्कि उन लोक सेवकों का मनोबल भी तोड़ता है जो कानून का पालन करते हैं।

    अब सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश से माणिकराव कोकाटे को विधायक पद पर बने रहने की अस्थायी राहत मिली है। हालांकि उनके खिलाफ आपराधिक अपील पर अंतिम फैसला अभी शेष है।

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