अस्पष्ट और सामान्य आरोप: सुप्रीम कोर्ट ने ससुराल वालों पर दर्ज वैवाहिक क्रूरता का मामला ख़ारिज किया

Amir Ahmad

27 Sept 2025 2:23 PM IST

  • अस्पष्ट और सामान्य आरोप: सुप्रीम कोर्ट ने ससुराल वालों पर दर्ज वैवाहिक क्रूरता का मामला ख़ारिज किया

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (26 सितंबर) को एक महिला के ससुराल पक्ष के खिलाफ दर्ज आपराधिक कार्यवाही रद्द की। महिला ने अपने ससुर, सास और ननद पर घरेलू हिंसा और मानसिक प्रताड़ना के आरोप लगाए। अदालत ने पाया कि ये आरोप केवल अस्पष्ट और सामान्य थे और इनमें कोई ठोस तथ्य नहीं है।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बी.आर. गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस अतुल एस. चंदुरकर की पीठ ने अपील स्वीकार करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट का आदेश रद्द किया, जिसने पहले इन आरोपों को ख़ारिज करने से इनकार कर दिया था।

    FIR में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498ए (क्रूरता), धारा 377 (अप्राकृतिक यौन संबंध), धारा 506 (धमकी) और धारा 34 (समान आशय) के तहत अपराध दर्ज किए गए।

    अदालत ने कहा कि शिकायत में केवल सामान्य आरोप हैं, जिनमें कोई विशेष विवरण नहीं दिया गया। महिला ने अपने पति पर अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने और मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया था लेकिन ये आरोप सिर्फ पति तक सीमित थे ससुराल पक्ष पर नहीं।

    पीठ ने दिगंबर बनाम महाराष्ट्र राज्य (2024) मामले का हवाला देते हुए दोहराया कि धारा 498ए के तहत अपराध तभी बनता है, जब उत्पीड़न इतना गंभीर हो कि महिला को आत्महत्या करने या गंभीर चोट पंहुचाने की ओर धकेल दे।

    अदालत ने कहा,

    “अगर शिकायत को सतही रूप से भी सही मान लिया जाए। फिर भी कोई अपराध नहीं बनता तो ऐसी कार्यवाही को जारी रखना उचित नहीं होगा। अस्पष्ट और सामान्य आरोपों के आधार पर किसी के खिलाफ केस नहीं चलाया जा सकता।”

    जहां तक अप्राकृतिक यौन संबंध और धमकी के आरोपों का सवाल है, अदालत ने स्पष्ट किया कि ये केवल पति के खिलाफ लगाए गए, ससुराल वालों पर नहीं।

    अदालत ने कहा कि शिकायत का समग्र अध्ययन करने पर ससुराल पक्ष के खिलाफ कोई प्राथमिक मामला नहीं बनता। इसलिए अपील स्वीकार करते हुए उनके खिलाफ कार्यवाही ख़ारिज कर दी गई।

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