"आप इतने पितृसत्तात्मक क्यों हो रहे हैं?" : सुप्रीम कोर्ट ने स्थायी कमीशन देने से इनकार पर केंद्र सरकार से पूछा

Shahadat

20 Feb 2024 4:40 AM GMT

  • आप इतने पितृसत्तात्मक क्यों हो रहे हैं? : सुप्रीम कोर्ट ने स्थायी कमीशन देने से इनकार पर केंद्र सरकार से पूछा

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (19 फरवरी) को भारतीय तटरक्षक बल (ICG) में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने से इनकार करने पर केंद्र सरकार की खिंचाई की।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने शॉर्ट सर्विस कमीशन में महिला अधिकारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए पूछा कि क्या रक्षा सेवाओं में महिला अधिकारियों के लिए स्थायी कमीशन देने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के व्यापक फैसलों के बावजूद संघ "पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण" अपना रहा है।

    केंद्र सरकार को संबोधित करते हुए सीजेआई ने कहा,

    "आप 'नारी शक्ति' की बात करते हैं। अब इसे यहां दिखाएं। आप इस मामले में गहरे समुद्र में हैं...आपको ऐसी नीति बनानी चाहिए, जो महिलाओं के साथ उचित व्यवहार करे... 2009 में किसी महिला को शामिल नहीं किया गया...आप इतने पितृसत्तात्मक क्यों हो रहे हैं? आप तटरक्षक बल में महिलाओं का चेहरा नहीं देखना चाहते?"

    यह बताते हुए कि अब रक्षा बल की तीनों शाखाओं- सेना, नौसेना और वायु सेना द्वारा स्थायी कमीशन दिया जा रहा है, सीजेआई ने कहा,

    “वह अपने बैच की एकमात्र सदस्य हैं, जो स्थायी कमीशन का विकल्प चुन रही हैं, इसमें 4 महिलाएं हैं। उनका बैच और वह अकेली हैं, जो स्थायी कमीशन चाहती हैं...स्पष्ट रूप से अब तटरक्षक बल को नीति बनानी होगी''

    केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) विक्रमजीत बनर्जी ने बताया कि याचिकाकर्ता की धारा जो शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) में थी और स्थायी आयोग (पीसी) की शाखा के बीच अंतर है, जिसे याचिकाकर्ता ने मांगा है। मुद्दा SSC से पीसी में मांगे गए परिवर्तन का है।

    सीजेआई ने हालांकि तुरंत कहा कि एएसजी को रक्षा मंत्रालय बनाम बबीता पुनिया और भारत संघ बनाम लेफ्टिनेंट कमांडर एनी नागराजा में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को पढ़ना चाहिए, जिसने क्रमशः भारतीय सेना और नौसेना में महिला अधिकारियों के लिए स्थायी आयोग की अनुमति दी।

    सीजेआई ने पूछा कि क्या ICG में महिलाओं के लिए स्थायी आयोग का प्रावधान है।

    एएसजी ने सकारात्मक जवाब दिया और कहा,

    "केवल 10% के लिए।"

    इस तरह के अनुपात से असंतुष्ट सीजेआई ने पूछा,

    “10% क्यों? क्या महिलाएं कमतर इंसान हैं? ...हमें एक बात बताएं, क्या केवल 10% पुरुष तटरक्षक ही स्थायी होते हैं?”

    पीठ ने पूछा कि ICG में ऐसी क्या खासियत है कि महिलाओं को वहां स्थायी कमीशन नहीं मिल सकता, जबकि भारतीय नौसेना भी यही अनुदान देती है।

    न्यायालय ने केंद्र सरकार को जल्द ही जेंडर-न्यूट्रल पॉलिसी लाने के लिए आगाह किया।

    कोर्ट ने कहा,

    “उसके मामले के बारे में भूल जाओ, अब हम उससे निपटेंगे जो तुम दूसरों के साथ करते हो। हम सुप्रीम कोर्ट हैं, हम उसे स्वतंत्रता नहीं दे सकते हैं, लेकिन हम देखेंगे कि ICG में महिलाओं के लिए न्याय किया जाता है...फिर हम पूरे कैनवास को खोल देंगे, आप जो करना चाहते हैं, उसके लिए बेहतर होगा कि आप निर्देश लें...अगर महिलाएं सुरक्षा कर सकती हैं, सीमाओं की रक्षा कर सकती हैं, वे तटों की रक्षा कर सकती हैं, यह इतना आसान है।"

    सीनियर एडवोकेट अर्चना पाठक दवे और सिद्धांत शर्मा एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड ने याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व किया।

    केस टाइटल: प्रियंका त्यागी बनाम भारत संघ एवं अन्य, अपील के लिए विशेष अनुमति (सी) 3045/2024

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