मंदिर की दुकानों की नीलामी में गैर-हिंदू विक्रेताओं को शामिल न करने का आंध्र प्रदेश का आदेश हाईकोर्ट के फैसले पर रोक के कारण लागू नहीं हो सकता: सुप्रीम कोर्ट

Amir Ahmad

20 Feb 2025 11:50 AM IST

  • मंदिर की दुकानों की नीलामी में गैर-हिंदू विक्रेताओं को शामिल न करने का आंध्र प्रदेश का आदेश हाईकोर्ट के फैसले पर रोक के कारण लागू नहीं हो सकता: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को स्पष्ट किया कि 9 नवंबर, 2015 को जारी आंध्र प्रदेश सरकार के आदेश (GO) पर कार्रवाई नहीं की जा सकती, जो गैर-हिंदू विक्रेताओं को मंदिर की दुकानों की नीलामी में भाग लेने से रोकता है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने GO को बरकरार रखने वाले हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है।

    जस्टिस अभय ओक और जस्टिस उज्जल भुयान की खंडपीठ ने विवादित नियम को लागू करने वाली निविदा प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका का निपटारा करते हुए यह स्पष्टीकरण दिया।

    इस न्यायालय ने 27 जनवरी 2020 के अंतरिम आदेश द्वारा विवादित निर्णय पर रोक लगाई। विवादित निर्णय GOMS की पुष्टि करता है।

    न्यायालय ने कहा,

    "हम 9 नवंबर, 2015 के राजस्व बंदोबस्ती आदेश संख्या 426 के तहत आदेश पारित करने के लिए सहमत हैं। विवादित निर्णय के क्रियान्वयन पर रोक के मद्देनजर हम स्पष्ट करते हैं कि 9 नवंबर 2015 के सरकारी आदेश पर कार्रवाई नहीं की जाएगी।"

    सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के सितंबर 2019 के फैसले पर रोक लगाई, जिसने सरकारी आदेश के खिलाफ रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन है। सुनवाई के दौरान राज्य के वकील ने न्यायालय को सूचित किया कि निविदाएं गलत तरीके से जारी की गई थीं और उन्हें वापस ले लिया गया। उन्होंने न्यायालय को आश्वासन दिया कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए स्थानीय मंदिर प्रशासन को निर्देश देने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। आवेदक के वकील ने तर्क दिया कि रोक के बावजूद अधिकारियों ने तकनीकी आधार पर भविष्य की निविदाओं में ऐसे खंड शामिल करना जारी रखा, क्योंकि सरकारी आदेश पर रोक नहीं लगाई गई।

    जस्टिस ओक ने राज्य से यह स्पष्ट आश्वासन मांगा कि वह 9 नवंबर, 2015 के सरकारी आदेश पर कार्रवाई नहीं करेगा। राज्य के वकील ने जवाब दिया कि न्यायालय के स्थगन आदेश का उल्लंघन करने का कोई सवाल ही नहीं था। प्रस्तुत किया कि किसी भी भ्रम से बचने के लिए स्थानीय प्रशासन को निर्देश भेजे जा रहे हैं।

    इसके बाद खंडपीठ ने आदेश पारित किया, जिसमें स्पष्ट किया गया कि 9 नवंबर, 2015 के सरकारी आदेश पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा विवादित निर्णय पर रोक के मद्देनजर कार्रवाई नहीं की जाएगी।

    विवादित सरकारी आदेश में आंध्र प्रदेश धर्मार्थ और हिंदू धार्मिक संस्थान और बंदोबस्ती अचल संपत्ति और अन्य अधिकार (कृषि भूमि के अलावा) पट्टे और लाइसेंस नियम, 2003 के नियम 4(2)(के) और नियम 18 को शामिल किया गया, जो गैर-हिंदुओं को नीलामी में भाग लेने या मंदिर की संपत्तियों में पट्टे प्राप्त करने से रोकता है।

    सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के सितंबर 2019 के फैसले पर रोक लगाई, जिसमें 2015 का सरकारी आदेश बरकरार रखा गया।

    17 दिसंबर, 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने कुरनूल स्थित श्री ब्रह्मराम्बा मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर और उसके शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में दुकानों के पट्टों की नीलामी में सभी धर्मों के लोगों को भाग लेने की अनुमति दी। कोर्ट ने निर्देश दिया कि किराएदारों या दुकानदारों को नीलामी में भाग लेने या केवल उनके धर्म के आधार पर पट्टे प्राप्त करने से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। उस समय कोर्ट राज्य के अधिकारियों के खिलाफ कथित तौर पर उसके स्थगन आदेश का उल्लंघन करने के लिए अवमानना ​​याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

    हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली एसएलपी को सुप्रीम कोर्ट 4 मार्च, 2025 को सुनवाई के लिए रखेगा।

    केस टाइटल – टी.एम.डी. रफी बनाम आंध्र प्रदेश राज्य

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