उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना मतदाता सूची से किसी भी मतदाता का नाम हटाया नहीं जा सकता: चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया

LiveLaw News Network

13 Feb 2024 2:15 AM GMT

  • उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना मतदाता सूची से किसी भी मतदाता का नाम हटाया नहीं जा सकता: चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (12 फरवरी) को केंद्रीय चुनाव आयोग के जवाब के मद्देनज़र मतदाता सूची में नामों के दोहराव के मुद्दे से संबंधित कार्यवाही को समाप्त कर दिया। पीठ ने कहा कि पीड़ित मतदाताओं के लिए मतदाता सूची में किसी भी त्रुटि या उनके नाम हटाए जाने की स्थिति में पंजीकरण अधिकारी से संपर्क करने के लिए पर्याप्त उपाय मौजूद हैं।

    ईसीआई की ओर से पेश हुए श्री अमित शर्मा ने विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की मतदाता सूची के पुनरीक्षण के संबंध में मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उत्तर प्रदेश की ओर से पारित निर्देशों की ओर न्यायालय का ध्यान आकर्षित किया, जहां ईसीआई ने 29 मई 2023 को जारी दिशानिर्देशों को जारी रखने के लिए अधिसूचित किया था। उन्होंने याचिकाकर्ताओं की इस दलील का विरोध किया कि ईसीआई के 29 मई, 2023 के दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया गया है।

    उन्होंने कहा, “29 मई 2023 के बाद, ईसीआई ने स्थानांतरण, जनसांख्यिकीय समान प्रविष्टियों और मृत्यु के मामले में मतदाता सूची से मतदाताओं के नाम हटाने के संबंध में सभी मुख्य अधिकारियों को निर्देश जारी किए… ये विस्तृत निर्देश जारी किए गए। आयोग ने किसी भी पीड़ित मतदाता के लिए उपलब्ध कानूनी उपाय भी किए।"

    श्री शर्मा ने बताया कि निर्वाचन पंजीकरण नियम 1961 की धारा 26 के अनुसार, कोई भी पीड़ित मतदाता जो मतदाता सूची में अपने नाम के संबंध में सुधार करना चाहता है, उसे संबंधित निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों (ईआरओ) से संपर्क करना होगा। ईआरओ सीधे तौर पर स्वयं कार्रवाई नहीं कर सकता है। 1961 के नियमों के तहत प्रदान किए गए फॉर्म 7 पर मतदाता की ओर से विधिवत हस्ताक्षर होना चाहिए। ईसीआई की ओर से पेश श्री शर्मा ने कहा, "उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना किसी भी मतदाता का नाम नहीं काटा जा सकता है"।

    उल्‍लेखनीय है कि फॉर्म 7 मौजूदा मतदाता सूची में नाम शामिल करने/हटाने के प्रस्ताव पर आपत्ति के लिए मतदाता आवेदन पत्र है। 1961 के नियमों की धारा 23 आगे पंजीकरण अधिकारी के निर्णय के खिलाफ अपील का प्रावधान करती है। हालांकि, धारा 21ए पंजीकरण अधिकारी को उन मतदाताओं के नाम हटाने के लिए कदम उठाने की शक्ति प्रदान करती है जो या तो मर चुके हैं या निवास स्थान बदल चुके हैं। इन बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए सीजेआई ने माना कि मतदाता सूची में त्रुटियों के मामलों में पीड़ित मतदाताओं को अपनी पसंद का प्रयोग करने के लिए पर्याप्त कानूनी उपाय मौजूद हैं, इसलिए अदालत को वर्तमान कार्यवाही जारी रखने की आवश्यकता नहीं हो सकती है।

    पीठ ने ईसीआई की विस्तृत प्रतिक्रिया से संतुष्ट होकर याचिका का निपटारा यह कहते हुए किया- "जवाब में किए गए खुलासे के आधार पर... हम संतुष्ट हैं कि अदालत को किसी और निर्देश की आवश्यकता नहीं है, हम तदनुसार इस स्तर पर इस कार्यवाही को बंद करते हैं।" इस प्रकार, संविधान बचाओ ट्रस्ट द्वारा दायर जनहित याचिका को बंद कर दिया गया।

    केस टाइटलः संविधान बचाओ ट्रस्ट बनाम भारत निर्वाचन आयोग डब्ल्यूपी (सी) नंबर 1228/2023 पीआईएल-डब्ल्यू

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