भ्रामक विज्ञापन मामले में बाबा रामदेव और बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष बिना शर्त माफी मांगी

Shahadat

9 April 2024 2:28 PM GMT

  • भ्रामक विज्ञापन मामले में बाबा रामदेव और बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष बिना शर्त माफी मांगी

    पतंजलि आयुर्वेद के सह-संस्थापक बाबा रामदेव और प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने अदालती वादे का उल्लंघन करते हुए भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों के प्रकाशन पर उनके खिलाफ शुरू किए गए अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष बिना शर्त माफी मांगी।

    माफीनामा वाला हलफनामा इस शनिवार को दाखिल किया गया। अब इस मामले की सुनवाई कल यानी बुधवार (10 अप्रैल) होगी।

    संक्षेप में कहें तो अवमानना का मामला इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा एलोपैथी पर हमला करने वाले और कुछ बीमारियों के इलाज के दावे करने वाले पतंजलि के विज्ञापनों के खिलाफ दायर एक याचिका से उत्पन्न हुआ है। सुप्रीम कोर्ट की फटकार पर पतंजलि ने पिछले नवंबर में आश्वासन दिया कि वह ऐसे विज्ञापनों से परहेज करेगी।

    27 फरवरी को यह देखते हुए कि भ्रामक विज्ञापन जारी रहे, कोर्ट ने पतंजलि और उसके एमडी को अवमानना नोटिस जारी किया। इसके अलावा, इसने पतंजलि को इस बीच ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम 1954 में निर्दिष्ट बीमारियों/विकारों को संबोधित करने के लिए अपने उत्पादों का विज्ञापन या ब्रांडिंग करने से रोक दिया।

    मार्च में यह देखते हुए कि अवमानना नोटिस का जवाब दाखिल नहीं किया गया, पतंजलि एमडी के साथ-साथ बाबा रामदेव, जो उपक्रम के बाद प्रकाशित प्रेस कॉन्फ्रेंस और विज्ञापनों में शामिल है, उसकी व्यक्तिगत उपस्थिति की मांग की गई।

    इसके बाद पतंजलि एमडी ने हलफनामा दायर कर कहा कि विवादित विज्ञापनों में केवल सामान्य बयान है, लेकिन अनजाने में आपत्तिजनक वाक्य भी शामिल हो गए। आगे यह कहा गया कि विज्ञापन प्रामाणिक है और पतंजलि के मीडिया कर्मियों को नवंबर के आदेश (जहां सुप्रीम कोर्ट के समक्ष वचन दिया गया) का "संज्ञान" नहीं है।

    हलफनामे में यह भी कहा गया कि ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट "पुरातन अवस्था" में है, क्योंकि इसे ऐसे समय में लागू किया गया, जब आयुर्वेदिक दवाओं के बारे में वैज्ञानिक सबूतों की कमी है।

    पिछली तारीख पर बाबा रामदेव और एमडी बालकृष्ण दोनों सशरीर कोर्ट में मौजूद है। जबकि बाबा रामदेव का हलफनामा रिकॉर्ड पर नहीं है, अदालत ने एमडी बालकृष्ण के हलफनामे के बारे में अपनी आपत्ति व्यक्त की, इसे "कामचोरी" और "महज दिखावा" कहा।

    कथित अवमाननाकर्ताओं को उचित हलफनामा दाखिल करने का अंतिम अवसर दिया गया।

    केस टाइटल: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन बनाम भारत संघ | डब्ल्यू.पी.(सी) नंबर 645/2022

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