मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में लंबित आपराधिक अपीलों की संख्या काफी अधिक, शीघ्र सुनवाई की संभावना नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने सजा निलंबित की
Amir Ahmad
5 Dec 2024 11:47 AM IST

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में लंबित आपराधिक अपीलों की संख्या काफी अधिक होने तथा 2024 में दायर की गई अपील की शीघ्र सुनवाई की संभावना नहीं होने का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक दोषी की सजा निलंबित कर दी, जिसे धोखाधड़ी के एक मामले में पांच वर्ष कारावास की सजा सुनाई गई थी।
भारतीय दंड संहिता की धारा 407, 420, 468, 471, 34 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए दोषी ठहराए गए दोषी ने हाईकोर्ट द्वारा सजा निलंबित करने से इनकार किए जाने से व्यथित होकर सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि दोषी द्वारा किए गए अपराधों के लिए सजा की अधिकतम अवधि 5 वर्ष है तथा वह पहले ही आठ महीने की हिरासत में रह चुका है।
पीठ ने कहा,
"हाईकोर्ट के समक्ष लंबित आपराधिक अपीलों की संख्या काफी अधिक है और निकट भविष्य में अपील की सुनवाई होने की संभावना काफी कम है। इसलिए अपीलकर्ता के मन में यह वास्तविक आशंका है कि समय बीतने के साथ उसकी अपील विचार किए बिना ही निष्फल हो सकती है।"
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के दृष्टिकोण की आलोचना की और कहा कि जब अपीलकर्ता ने दूसरी बार सजा के निलंबन के लिए आवेदन किया तो उसे अपील की सुनवाई के लिए एक तिथि तय कर देनी चाहिए थी। राहत से इनकार करने से सुप्रीम कोर्ट में अपील को अनावश्यक रूप से बढ़ावा मिला पीठ ने खेद व्यक्त किया।
सजा को निलंबित करते हुए पीठ ने अपीलकर्ता को हाईकोर्ट के समक्ष अपील को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाने का निर्देश दिया। यदि अपीलकर्ता अपील पर बहस करने से विरत रहता है तो हाईकोर्ट के लिए जमानत रद्द करना खुला होगा।
टाइटल: अभय जायसवाल बनाम मध्य प्रदेश राज्य