सुप्रीम कोर्ट ने अमित शाह पर टिप्पणी के लिए Rahul Gandhi के खिलाफ आपराधिक मानहानि मामले पर रोक लगाई
Amir Ahmad
20 Jan 2025 12:44 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (20 जनवरी) को कांग्रेस सांसद और विपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि मामले में ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाई।
राहुल गांधी पर आरोप है कि उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सदस्यों को झूठा और सत्ता के नशे में चूर कहा था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को हत्या का आरोपी कहा था।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने झारखंड हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली राहुल गांधी की विशेष अनुमति याचिका पर नोटिस जारी करते हुए अंतरिम आदेश पारित किया।
हाईकोर्ट ने BJP कार्यकर्ता नवीन झा द्वारा उनके खिलाफ दायर मानहानि मामला रद्द करने की उनकी याचिका खारिज की थी।
राहुल गांधी की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ऐसे कई फैसले हैं, जिनमें कहा गया कि केवल पीड़ित व्यक्ति ही आपराधिक मानहानि की शिकायत दर्ज करा सकता है। उन्होंने तर्क दिया कि शिकायत किसी प्रॉक्सी थर्ड पार्टी द्वारा दर्ज नहीं कराई जा सकती।
शिकायतकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी पेश हुए।
BJP नेता नवीन झा ने राहुल गांधी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि 18.03.2018 को एआईसीसी प्लेनरी सेशन में गांधी ने BJP के खिलाफ भाषण दिया और शाह (तत्कालीन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष) को हत्या का आरोपी बताया।
रांची की मजिस्ट्रेट अदालत ने झा की शिकायत खारिज की, जिससे व्यथित होकर उन्होंने न्यायिक आयुक्त, रांची के समक्ष एक आपराधिक पुनर्विचार याचिका दायर की। न्यायिक आयुक्त रांची ने शिकायत खारिज करने का आदेश खारिज कर दिया और सबूतों का फिर से मूल्यांकन करने के निर्देश के साथ मामले को मजिस्ट्रेट को वापस भेज दिया।
मजिस्ट्रेट ने आपराधिक पुनर्विचार में दिए गए निर्देश के आधार पर 28.11.2018 को एक नया आदेश पारित किया और पाया कि गांधी के खिलाफ धारा 500 आईपीसी के तहत प्रथम दृष्टया मामला बनता है और उनकी उपस्थिति के लिए प्रक्रिया जारी की।
गांधी ने न्यायिक आयुक्त के आदेश और उसके बाद मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि झा के पास मामला दर्ज करने का कोई अधिकार नहीं है। सीआरपीसी की धारा 199 के तहत प्रावधान का अनुपालन नहीं किया गया।
हाईकोर्ट ने कहा,
"विपक्षी पक्ष संख्या 2 मेरे विचार में भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता है, इसलिए उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 499/500 के तहत उक्त शिकायत मामला दर्ज करने का अधिकार है।"
इसमें कहा गया,
"ऐसा प्रतीत होता है कि प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता राहुल गांधी के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व को झूठा और सत्ता के नशे में चूर बताने के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 499/500 के तहत मामला बनता है।"
गांधी के खिलाफ लगाए गए आरोपों के संबंध में हाईकोर्ट ने कहा,
“राहुल गांधी द्वारा दिए गए भाषण ने भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व को सत्ता के नशे में चूर झूठा करार दिया और कहा कि भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता हत्या के आरोपी व्यक्ति को भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष के रूप में स्वीकार करेंगे, लेकिन कांग्रेस पार्टी में लोग इसे कभी स्वीकार नहीं करेंगे। प्रथम दृष्टया यह कथन इंगित करता है कि राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी का नेतृत्व सत्ता के नशे में चूर है और झूठों से बना है। इसका यह भी अर्थ है कि भारतीय जनता पार्टी के पार्टी कार्यकर्ता ऐसे व्यक्ति/व्यक्तियों को अपना नेता स्वीकार करेंगे। यह आरोप प्रथम दृष्टया प्रकृति में मानहानिकारक है।”
धारा 398 CrPC की व्याख्या करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि धारा 397 सीआरपीसी के तहत किसी भी रिकॉर्ड की जांच करने पर हाईकोर्ट या सेशन जज किसी भी अधीनस्थ मजिस्ट्रेट को धारा 203 सीआरपीसी के तहत खारिज की गई शिकायत की आगे की जांच करने का निर्देश दे सकते हैं।
न्यायालय ने आरोपित आदेशों में कोई अवैधता नहीं पाई तथा प्रथम दृष्टया गांधी के विरुद्ध धारा 500 आईपीसी के तहत मामला सही पाया। तदनुसार, इसने आपराधिक विविध याचिका को खारिज कर दिया।
केस टाइटल: राहुल गांधी बनाम झारखंड राज्य एवं अन्य, डायरी संख्या 36772-2024

