वाहन चालक के पास खतरनाक सामग्री ले जाने वाले वाहन के लिए नियम 9 के तहत अनुमति न होने पर बीमा कंपनी 'भुगतान करे और वसूले' की नीति लागू कर सकती है: सुप्रीम कोर्ट
Amir Ahmad
9 April 2025 6:22 AM

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (8 अप्रैल) को कहा कि मोटर वाहन अधिनियम की नियम 9, केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के तहत खतरनाक/विषैली सामग्री ले जाने वाले वाहन चलाने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस में विशेष अनुमति अनिवार्य है।
नियम 9 के अंतर्गत विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है, जिसमें सुरक्षात्मक ड्राइविंग आपातकालीन स्थितियों से निपटना और उत्पाद सुरक्षा शामिल हैं। साथ ही ड्राइविंग लाइसेंस पर विशेष अनुमोदन (Endorsement) भी जरूरी होता है।
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस के विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने यह स्पष्ट किया कि यह अनुमति केवल औपचारिकता नहीं है, बल्कि चालक की दक्षता और सुरक्षा से जुड़ी एक महत्वपूर्ण शर्त है।
उन्होंने यह भी कहा,
"हम यह भी स्पष्ट करना चाहते हैं कि वर्तमान मामले में टैंकर तेल ले जा रहा था। उसी उद्देश्य से वह वाहन डिज़ाइन किया गया। हम यह नहीं कह रहे हैं कि अगर टैंकर खाली होता तब चालक बिना अनुमोदन के चला सकता था। नियम 9 के तहत प्रशिक्षण लेना एक वैधानिक आवश्यकता है और इसे केवल तकनीकी चूक कहकर नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।"
मामले की पृष्ठभूमि:
यह मामला उस समय सामने आया जब ट्रक चालक, जो खतरनाक पदार्थों को ले जाने वाले वाहन को चला रहा था, ने एक पैदल यात्री और एक साइकिल सवार को टक्कर मार दी, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। दोनों मृतक अपने परिवारों के एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे।
चालक के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस था लेकिन नियम 9 के तहत खतरनाक सामग्री ले जाने की अनुमति नहीं थी।
मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (MACT) ने भुगतान करें और वसूले सिद्धांत को अपनाते हुए बीमा कंपनी को निर्देश दिया कि वह मुआवजा दे और फिर वाहन मालिक से उस राशि की वसूली करे।
जब हाईकोर्ट ने इस निर्णय को बरकरार रखा तो वाहन स्वामी (अपीलकर्ता) ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
मुद्दा:
क्या यदि चालक के पास खतरनाक पदार्थ ले जाने वाले वाहन को चलाने की अनुमति नहीं हो तो बीमा कंपनी मुआवजे के भुगतान से मुक्त हो सकती है?
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय:
जस्टिस द्वारा लिखे गए निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने अपीलकर्ता का यह तर्क खारिज कर दिया कि चूंकि दुर्घटना खतरनाक सामग्री के कारण नहीं हुई, इसलिए अनुमति की आवश्यकता नहीं थी।
कोर्ट ने पाया कि वाहन में तेल लदा हुआ था और ट्रायल कोर्ट व हाईकोर्ट दोनों ने चालक की गवाही से यह स्थापित किया कि टैंकर में खतरनाक माल लदा हुआ था।
"यह स्पष्ट है कि चालक के पास खतरनाक पदार्थ ले जाने वाले वाहन को चलाने का वैधानिक लाइसेंस नहीं था। वाहन एक तेल टैंकर था, जो स्वाभाविक रूप से खतरनाक पदार्थों को ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया।”
कोर्ट ने यह भी कहा कि सुरन सिंह बनाम नेशनल इंश्योरेंस मामले का हवाला देना इस मामले में उचित नहीं है, क्योंकि वहां अलग परिस्थितियां थीं।
निष्कर्ष:
चूंकि चालक के पास केवल सामान्य परिवहन वाहन का लाइसेंस था लेकिन खतरनाक माल ले जाने वाले वाहन के लिए आवश्यक अनुमति नहीं थी। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा,
ऐसी स्थिति में बीमा कंपनी दावे का भुगतान करने के बाद उस राशि की वसूली वाहन मालिक से कर सकती है, क्योंकि वाहन चलाने की शर्तों का उल्लंघन हुआ है।
केस टाइटल: M/S. Chatha Service Station बनाम ललमति देवी एवं अन्य