पैनलिस्ट के बयान पर एंकर को क्यों गिरफ्तार किया गया?: सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश पुलिस से पूछा, दिया पत्रकार कोम्मिनेनी श्रीनिवास राव की रिहाई का आदेश
Amir Ahmad
13 Jun 2025 2:10 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तेलुगु पत्रकार कोम्मिनेनी श्रीनिवास राव (KSR) को जमानत दी, जिन्हें टेलीविजन शो में पैनलिस्ट द्वारा दिए गए आपत्तिजनक बयान के सिलसिले में आंध्र प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस मनमोहन की खंडपीठ ने यह आदेश पत्रकार द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया, जिसमें उन्होंने अपनी गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती दी थी।
राव को 9 जून को हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया और उन्हें साक्षी टीवी पर प्रसारित शो में ए
अतिथि द्वारा दिए गए बयान को लेकर न्यायिक हिरासत में भेजा गया।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ दवे ने दलील दी कि आपत्तिजनक टिप्पणी उन्होंने नहीं, बल्कि एक पैनलिस्ट ने की थी।
इस पर जस्टिस मिश्रा ने टिप्पणी की,
“यह मामला भी नविका या सरदेसाई जैसा है।”
“बिलकुल,” दवे ने सहमति जताई।
खंडपीठ ने राज्य से सवाल किया कि जब बयान किसी और ने दिया तो याचिकाकर्ता को कैसे गिरफ्तार किया जा सकता है।
जस्टिस मनमोहन ने आंध्र प्रदेश की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी से पूछा,
"किसी और ने बयान दिया। इसमें याचिकाकर्ता को कैसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है?"
रोहतगी ने जवाब दिया,
“वह उस व्यक्ति को उकसा रहे थे और जब वह बयान दे रहा था, तब हँस रहे थे।”
जस्टिस मनमोहन ने कहा,
“जब कोई अजीबोगरीब बयान देता है तो हम अक्सर हँसते हैं। इससे वे सह-षड्यंत्रकारी नहीं बन जाते।”
जस्टिस मिश्रा ने भी कहा,
“ऐसा रोज़ हो रहा है।”
रोहतगी ने तर्क दिया,
“यह मामला केवल मौन दर्शक बनने का नहीं है। वह उस चैनल का हिस्सा हैं।”
इस पर जस्टिस मिश्रा ने दोहराया,
“लेकिन बयान तो उन्होंने नहीं दिया है!”
रोहतगी ने फिर जोर दिया,
“वह व्यक्ति को उकसा रहे थे। आप ऐसे बयान नहीं दे सकते कि 'यह राज्य सेक्स वर्कर्स की राजधानी है'।”
राज्य की ओर से सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि यह केवल मानहानि का मामला नहीं है बल्कि यह कहा गया कि आंध्र प्रदेश सेक्स वर्क में सबसे आगे है, जो गंभीर आरोप है।
उन्होंने यह भी कहा कि पत्रकार को पहले हाई कोर्ट का रुख करना चाहिए, जहां उनकी जमानत याचिका लंबित है।
खंडपीठ ने यह देखते हुए कि उक्त बयान याचिकाकर्ता ने नहीं दिया, उनकी रिहाई का आदेश दिया और पत्रकारिता की स्वतंत्रता की रक्षा पर जोर दिया।
अदालत का आदेश:
"याचिकाकर्ता एक सीनियर पत्रकार हैं, जिनकी आयु 70 वर्ष है। वह साक्षी टीवी पर 'Live with KSR' कार्यक्रम के एंकर हैं।
उन्होंने अपनी गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती दी।
उन्होंने यह तर्क दिया गया कि 06.06.2025 को प्रसारित शो में एक पैनलिस्ट ने अपमानजनक बयान दिया और याचिकाकर्ता ने इसका विरोध नहीं किया बल्कि मुस्कराते नजर आए। यह कहा गया कि याचिकाकर्ता का उक्त बयान से कोई लेना-देना नहीं है।
राज्य की ओर से रोहतगी और सिद्धार्थ लूथरा ने दलील दी कि याचिकाकर्ता ने हँस कर और मूक दर्शक बनकर अपराध को बढ़ावा दिया।
यह देखते हुए कि याचिकाकर्ता ने स्वयं कोई आपत्तिजनक बयान नहीं दिया। उनकी पत्रकारिता की भूमिका को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के दायरे में रखा जाना चाहिए। हम आदेश देते हैं कि उन्हें इस FIR के संबंध में रिहा किया जाए, जो कि ट्रायल कोर्ट द्वारा लगाई जाने वाली शर्तों के अधीन होगी।
यह स्पष्ट किया जाता है कि याचिकाकर्ता स्वयं या उनके द्वारा होस्ट किए गए शो में किसी अन्य को अपमानजनक बयान देने की अनुमति नहीं देंगे।
टाइटल: कोम्मिनेनी श्रीनिवास राव बनाम आंध्र प्रदेश राज्य

