BJP के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने PM-ABHIM पर केंद्र के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के निर्देश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से AAP Govt द्वारा दायर याचिका वापस ली

Amir Ahmad

28 Feb 2025 7:51 AM

  • BJP के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने  PM-ABHIM पर केंद्र के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के निर्देश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से AAP Govt द्वारा दायर याचिका वापस ली

    राष्ट्रीय राजधानी में सत्ता में आने के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से पिछली आम आदमी पार्टी (AAP) के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा दायर मामला वापस ले लिया, जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा पिछली सरकार को पीएम-आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (PM-ABHIM) योजना के कार्यान्वयन पर केंद्र के साथ समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर करने के निर्देश के खिलाफ दायर किया गया।

    जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने मामले को वापस लेने की अनुमति दी।

    GNCTD की ओर से वकील ज्योति मेंदीरत्ता ने खंडपीठ को बताया कि सरकार याचिका वापस लेना चाहती है।

    दिल्ली सरकार में बदलाव की पृष्ठभूमि में वकील की बात सुनते हुए जस्टिस गवई ने टिप्पणी की,

    "अब (सरकार में बदलाव के बाद) आपकी रुचि नहीं होगी।”

    मेंदीरत्ता ने इसका जवाब देते हुए कहा,

    "हम योजना के क्रियान्वयन के साथ आगे बढ़ रहे हैं।”

    संक्षेप में कहें तो दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकारी अस्पतालों में ICU बेड और वेंटिलेटर सुविधाओं की उपलब्धता के मुद्दे पर 2017 में शुरू की गई स्वतः संज्ञान जनहित याचिका पर विचार करते हुए यह आदेश पारित किया।

    इसमें कहा गया कि दिल्ली में पीएम-एबीएचआईएम योजना का क्रियान्वयन न करना, जबकि 33 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश पहले ही इसे लागू कर चुके हैं, उचित नहीं होगा।

    हाईकोर्ट ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि दिल्ली के निवासी इसके तहत मिलने वाली धनराशि और सुविधाओं से वंचित न हो, इस योजना को पूरी तरह से लागू किया जाना चाहिए।

    इसके अलावा यह भी कहा गया कि आदर्श आचार संहिता, यदि कोई हो उसके बावजूद समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाएंगे क्योंकि यह दिल्ली के निवासियों के लाभ के लिए है।

    इस आदेश से पहले हाईकोर्ट ने गंभीर देखभाल वाले रोगियों के इलाज के लिए मेडिकल बुनियादी ढांचे की कमी पर चिंता व्यक्त की थी और दिल्ली सरकार से पूछा कि बुनियादी ढांचा मांग के अनुरूप क्यों नहीं है।

    न्यायालय ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार को पायलट आधार पर पीएम-एबीएचआईएम योजना के क्रियान्वयन में देरी नहीं करनी चाहिए और बाद में इसे सभी अस्पतालों में लागू करना चाहिए।

    हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए आप के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने इस साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

    उसकी ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि केंद्र की शक्तियां राज्य सूची में प्रविष्टि 1, 2 और 18 (यानी सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि) के तहत मामलों तक सीमित हैं। हालांकि, हाईकोर्ट ने विवादित आदेश के तहत स्वास्थ्य क्षेत्र के संबंध में सरकारों की शक्तियों को फिर से परिभाषित किया।

    इसके अलावा सिंघवी ने हाई कोर्ट द्वारा दिल्ली सरकार को MOU पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर करने पर सवाल उठाया - एक नीतिगत निर्णय - जिसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया कि यदि ऐसा होता है, तो भारत सरकार पूंजीगत व्यय का 60% (और दिल्ली सरकार 40%) वहन करेगी, लेकिन 0% चालू व्यय।

    सीनियर वकील ने आगे दावा किया कि दिल्ली सरकार की अपनी योजना की पहुंच और कवरेज बहुत बड़ी थी।

    17 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर नोटिस जारी किया और दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी।

    इसके बाद दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा विजयी हुई, सरकार बनाई और वर्तमान मामले में एक आवेदन दायर कर मामले को वापस लेने की मांग की।

    केस टाइटल: दिल्ली सरकार बनाम भारत संघ और अन्य, डायरी संख्या 921-2025

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