VRS आवेदन लंबित होने का हवाला देकर कर्मचारी काम से अनुपस्थित नहीं रह सकता : सुप्रीम कोर्ट

Amir Ahmad

20 Dec 2024 3:32 PM IST

  • VRS आवेदन लंबित होने का हवाला देकर कर्मचारी काम से अनुपस्थित नहीं रह सकता : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई कर्मचारी केवल इसलिए सेवा से अनुपस्थित नहीं रह सकता, क्योंकि उसका स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति सेवा (VRS) आवेदन लंबित है।

    जस्टिस एएस ओक और जस्टिस एजी मसीह की खंडपीठ इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ उत्तर प्रदेश राज्य की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें लंबित VRS आवेदन की आड़ में सेवा से अनुपस्थित रहने के कारण सेवा से बर्खास्त किए गए प्रतिवादी कर्मचारियों को बहाल करने का निर्देश दिया गया।

    उत्तर प्रदेश राज्य में डॉक्टर के रूप में सेवारत प्रतिवादी कर्मचारियों ने 2006 और 2008 में VRS आवेदन प्रस्तुत किए और आवेदन दाखिल करने के बाद अपने कर्तव्यों से अनुपस्थित रहे।

    वर्ष 2010 में अपीलकर्ता ने संविधान के अनुच्छेद 311(2) के दूसरे प्रावधान के खंड (बी) और अनुशासनात्मक जांच की अव्यवहारिकता का हवाला देते हुए लंबे समय से अनुपस्थित रहने के कारण 400 से अधिक अन्य डॉक्टरों के साथ-साथ उनकी नौकरी भी समाप्त कर दी थी।

    प्रतिवादियों ने बर्खास्तगी आदेशों को चुनौती देते हुए और अपने VRS आवेदनों पर निर्णय लेने की मांग करते हुए रिट याचिकाएं दायर कीं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बर्खास्तगी आदेशों को रद्द कर दिया और परिणामी लाभों के साथ बहाली का आदेश दिया।

    इसके बाद अपीलकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपील की।

    राज्य की अपील स्वीकार करते हुए जस्टिस ओक द्वारा लिखित निर्णय ने बिना किसी औचित्य के VRS आवेदनों को लंबित रखने के लिए अपीलकर्ता राज्य उत्तर प्रदेश की आलोचना की। हालांकि, इसने नोट किया कि प्रतिवादियों की अनुपस्थिति अनुचित थी।

    अदालत ने कहा,

    यह सच है कि VRS के लिए आवेदनों पर निर्णय न लेने में अपीलकर्ताओं के आचरण का बिल्कुल भी समर्थन नहीं किया जा सकता। हालांकि, प्रतिवादियों के लिए अनुपस्थिति का सहारा लेने का कोई कारण नहीं था। जब प्रतिवादियों ने पाया कि उनके आवेदनों पर उचित समय के भीतर निर्णय नहीं लिया गया तो वे कानून के अनुसार उपाय अपना सकते थे।”

    प्रतिवादी की लंबे समय तक अनुपस्थिति को देखते हुए अदालत ने उनकी बहाली के लिए हाईकोर्ट के निर्देश को अमान्य पाया।

    केस टाइटल: उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य बनाम संदीप अग्रवाल

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